देवभूमि के गंगनाथ देवता: एक तेजस्वी राजकुमार, जिसे सपनों में रुपमती भाना ने बुलाया लेकिन…
कहते हैं गंगनाथ नेपाल के डोटीगढ़ राज्य के तेजस्वी राजकुमार थे। जो कि अल्मोड़ा जोशीखोला की रूपमती कन्या भाना के आमंत्रण पर अल्मोड़ा आए थे।
Feb 18 2022 12:08PM, Writer:कोमल नेगी
अभी कुछ ही दिन पहले युवा जोड़ों ने वैलेंटाइन-डे मनाया। किसी ने प्यार का इजहार किया तो किसी ने हर जन्म में साथ निभाने का वादा। आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी प्रेमकथा के बारे में बताएंगे जिसमें प्रेम का उल्लास भी है, और बिछोह का रुदन भी। कुमाऊं के अंचल में गंगनाथ देवता की गाथा जागर के रूप में आज भी सुनाई जाती है। कहते हैं गंगनाथ नेपाल के डोटीगढ़ राज्य के तेजस्वी राजकुमार थे। जो कि अल्मोड़ा जोशीखोला की रूपमती कन्या भाना के आमंत्रण पर नेपाल डोटी से अल्मोड़ा जोशीखोला दन्या आ गए थे। नेपाल के राजा वैभव चंद के घर जन्मे गंगनाथ का बचपन का नाम गंगाचंद था। ज्योतिषियों ने उन्हें लेकर भविष्यवाणी की थी कि वो एक बलशाली संन्यासी बनेंगे।गंगाचंद संसार के दुखों से हमेशा परेशान रहते हैं। इस बीच उनके साथ एक अनोखी घटना होती है। उन्हें सपनों में अल्मोड़ा जोशीखोला की कन्या भाना बुलाती है। एक रात गंगाचंद सबकुछ छोड़कर चले जाते हैं। काली नदी के पास एक मसाण से युद्ध के दौरान उनकी मदद के लिए भगवान गोरिया (गोलू देवता ) आते हैं। मसाण को हराने के बाद वो हरिद्वार में गुरु गोरक्षनाथ की शरण में पहुंचते हैं। वहां से दीक्षा हासिल करने के बाद वो भिक्षाटन के लिए अल्मोड़ा पहुंचते हैं। यहां वो अपनी शक्तियों से लोगों के दुख हरने लगते हैं, लेकिन सुकून फिर भी नहीं मिलता। वो अपने सपने के बारे में क्षेत्र की महिलाओं को बताते हैं। तब वो महिलाएं बताती हैं कि रूपसी भाना उनका इंतजार कर रही है। भावविभोर गंगनाथ भाना के गांव पहुंचते हैं। कई कहानियों में भाना को जोशीखोला के राजा दीवान किशन जोशी की बहू बताया गया है तो किसी में बेटी। कहते हैं भाना की शादी दीवान साहब के विक्षिप्त भाई से हो जाती है।
दूसरी लोककथा में भाना और गंगाचंद को पूर्व जन्म का प्रेमी युगल बताया गया है। लोककथा के मुताबिक एक मंदिर में भाना गंगनाथ को पहचान लेती है। दोनों दन्या में कुटिया बनाकर रहने लगते हैं। ये खबर सारे गांव में फैल जाती है, जिससे दीवान किशन जोशी कुपित होते हैं। वो गंगनाथ को मारने की योजना बनाते हैं। होली के दिन वो गंगनाथ की हत्या कर देते हैं। कहते हैं उस समय भाना गर्भवती होती है। गंगनाथ की ये हालत देखकर भाना कुपित हो जाती है, वो गांव वालों को विनाश का श्राप देती है। तीन दिन बाद गांव में पशु मरने लगते हैं, खेती नष्ट हो जाती है। तब जोशीखोला के लोग जागर के माध्यम से बाबा गंगनाथ को बुलाते हैं और उनसे माफी मांगते हैं। बाबा गंगनाथ सबको माफ कर देते हैं। गंगनाथ देवता अल्मोड़ा अंचल के लोक देवता हैं। अल्मोड़ा से 4-5 किमी दूर ताकुला में उनका मंदिर हैं। जहां बाबा गंगनाथ देवता, भाना बामणी और उनके पुत्र की पूजा की जाती है। (स्टोरी साभार-काफल ट्री)