उत्तराखंड: 75 हजार रुपये में बिका समीक्षा अधिकारी का ईमान, रंगे हाथों रिश्वत लेते गिरफ्तार
Kamlesh Thapliyal उत्तराखंड सचिवालय में Review officer हैं। उन्हें 72 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है।
Mar 1 2022 3:45PM, Writer:कोमल नेगी
कहते हैं इंसान की जरूरतें पूरी हो सकती हैं, लेकिन उसका लालच नहीं। ज्यादा पाने की ख्वाहिश में लालची लोग अपना पद भी गंवाते हैं और इज्जत भी। उत्तराखंड सचिवालय के एक सिंचाई समीक्षा अधिकारी के साथ यही हुआ। विजिलेंस की टीम ने सिंचाई समीक्षा अधिकारी को 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। सचिवालय में घूसखोरी के इस मामले से आप खुद समझ सकते हैं कि प्रदेश के हर विभाग में भ्रष्टाचार का कितना बोलबाला है।
Kamlesh Thapliyal arrested for taking bribe in Dehradun
सोमवार देर शाम उत्तराखंड सचिवालय में तैनात सिंचाई अनुभाग के समीक्षा अधिकारी कमलेश प्रसाद थपलियाल घूस लेते हुए विजिलेंस की टीम के हत्थे चढ़ गए। विजिलेंस की टीम ने उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी द्वारा रिश्वत की रकम सिंचाई विभाग के ही रिटायर्ड कनिष्ठ अभियंता के ग्रेच्युटी व फंड लंबित भुगतान के एवज में मांगी गई थी। आरोपी ने ग्रेच्युटी व फंड के लंबित भुगतान के एवज में एक लाख रुपये मांगे। बाद में 75 हजार पर दोनों के बीच रजामंदी हो गई। इसके बाद शिकायतकर्ता महेश चंद्र अग्रवाल ने इस मामले में विजिलेंस को प्रार्थना पत्र दिया था। आगे पढ़िए
सोमवार देर शाम विजिलेंस ने जाल बिछाया और समीक्षा अधिकारी कमलेश थपलियाल को रिश्वत की रकम लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। शिकायतकर्ता महेश चंद्र अग्रवाल 30 अप्रैल 2008 को उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अंतर्गत मनेरीभाली परियोजना से कनिष्ठ अभियंता के पद पर सेवानिवृत्त हुए थे। इस दौरान शिकायतकर्ता की ग्रेच्युटी से साल 2013 में कुछ मदों में कटौती कर दी गई थी। मामला उत्तराखंड ट्रिब्यूनल कोर्ट में गया तो कोर्ट ने शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने भी शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया था। शिकायतकर्ता के अनुसार इस दौरान विभाग के अधिकारी अनिल कुमार पुरोहित ने उन्हें 24 फरवरी 2022 को सचिवालय में भुगतान से संबंधित स्पष्टीकरण के लिए कहा। शिकायतकर्ता के मुताबिक वह अपने बेटे कृष्ण चंद्र अग्रवाल के साथ सिंचाई विभाग सचिवालय पहुंचे। जहां अनुभाग अधिकारी अनिल पुरोहित व समीक्षा अधिकारी केपी थपलियाल मौजूद थे। ऐसे में दोनों ही अधिकारियों ने शिकायतकर्ता को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दाखिल न करने और लंबित भुगतान को यथाशीघ्र अदा करने के एवज में 1 लाख रुपये रिश्वत की मांग की। 28 फरवरी को सचिवालय गेट के बाहर आरोपी समीक्षा अधिकारी रिश्वत की रकम लेने पहुंचा था, जहां विजिलेंस की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया।