देहरादून: मेरिट लिस्ट टॉपर को नहीं मिली Job..30 साल संघर्ष कर पाई नौकरी और 80 लाख मुआवजा
मेरिट लिस्ट में किया था टॉप, फिर भी नहीं मिली नौकरी, अब 30 साल संघर्ष कर पाई नौकरी और 80 लाख का मुआवजा, जानिए शिक्षक गेरॉल्ड जॉन के संघर्ष की कहानी-
Mar 10 2022 3:54PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
अक्सर सुनने में आता है कि अपने हक की लड़ाई तब तक लड़ो जब तक आप सही साबित न हो जाओ। चाहे उसमें कितना भी वक्त क्यों न लगे। अपने हक के लिए हमेशा लड़ो और अगर आप सच्चे हो तो भले ही देरी से मगर आपको जीत जरूर मिलेगी।
story of Dehradun teacher Gerald John
ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में भी देखने को मिला है। यहां पर एक शिक्षक को आखिरकार तमाम उतार-चढ़ाव देखने के बाद और संघर्ष के बाद इंटरव्यू क्लियर करने के 30 साल के बाद नौकरी मिल गई है। सरकार को आखिरकार शिक्षक के संघर्ष के आगे घुटने टेकने पड़े। शिक्षक ने 30 साल तक अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी और आखिरकार उनको नौकरी मिल गई है। बात 30 साल पुरानी 1989 की है। तब देहरादून के सीएनआई इंटर कॉलेज में वाणिज्य प्रवक्ता की पोस्ट निकली थी जिसमें इंटरव्यू के राउंड में शिक्षक गेरॉल्ड जॉन टॉपर रहे थे मगर शिक्षा विभाग ने उनको नियुक्ति नहीं दी थी क्योंकि उनको शॉर्टहैंड का ज्ञान नहीं था। मगर इंटरव्यू में दूसरे नंबर पर रहे अशोक शर्मा को शिक्षा विभाग ने प्रवक्ता के पद पर नियुक्ति दे दी थी। मेरिट में उनका पहला नंबर था मगर नौकरी मिली दूसरे शिक्षक को।
अपने साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ शिक्षक जॉन ने आवाज उठाई और अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए। बीते 30 सालों से वे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे और अपना हक पाने की खातिर उन्होंने 30 साल काफी संघर्ष किया। इतने लंबे समय के बाद आखिरकार उनको सफलता मिली है। वे 30 सालों से अपने साथ हो रही इस नाइंसाफी खिलाफ जंग लड़ रहे थे और उनके हौसले और हिम्मत के आगे राज्य सरकार को भी सिर झुकाना पड़ा। 1989 में इंटरव्यू राउंड में प्रथम आने वाले जॉन को 30 सालों के बाद आखिरकार वो नौकरी मिली जो नौकरी उनको 1989 में मिल जानी चाहिए थी। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के आदेश के बाद जॉन को सीएनआई बॉयज इंटर कॉलेज में कॉमर्स के प्रवक्ता के रूप में ज्वाइन करवाया गया है। कॉलेज के प्रधानाचार्य जीबी पॉल का कहना है कि जेरोल्ड जॉन को उनके कॉलेज में कॉमर्स के प्रवक्ता के पद पर नियुक्ति मिल गई है। अदालत ने उनके पक्ष में निर्णय लेते हुए उन्हें विद्यालय में पोस्टिंग भी दी और साथ ही मुआवजे के तौर पर 80 लाख रुपए देने का आदेश भी दिया है।