उत्तराखंड: इसे कहते हैं स्वच्छ राजनीति, चुनाव हारने के बाद भी जनता को नहीं भूले पूर्व विधायक
बीते दिनों पूर्व विधायक Kedar Singh Rawat Yamunotri के अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचे और जनता का हालचाल जाना। उनका सुख-दुख बांटा।
Apr 6 2022 6:22PM, Writer:कोमल नेगी
नेताओं के बारे में आम राय है कि वो सिर्फ चुनाव के दौरान ही दिखते हैं। चुनाव खत्म और नेता जी गायब, लेकिन Yamunotri के पूर्व विधायक Kedar Singh Rawat इस बात को गलत साबित करते दिख रहे हैं। केदार सिंह रावत बीजेपी से चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके। हालांकि हारने के बावजूद उनका आज भी क्षेत्र की जनता के साथ गहरा जुड़ाव है। बीते दिनों वो यमुनोत्री के अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचे और जनता का हालचाल जाना। उनका सुख-दुख बांटा। पूर्व विधायक केदार सिंह रावत राजगढ़ी, फरी, कोटी, गंगटाड़ी, गडाल गांव, सरनौल, चपटाडी जैसे अनेकों गांवों में पहुंचे और जनता का आभार जताया। वैसे आमतौर पर नेता चुनाव जीतने के बाद आभार सभा करते हैं, लेकिन केदार सिंह रावत चुनाव में हार मिलने के बाद भी जनता के बीच पहुंचे और कृतज्ञता जाहिर की। इस मौके पर क्षेत्र के लोग भी भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक ने यमुनोत्री क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क सेवा को लेकर अभूतपूर्व कार्य किए। बता दें कि यमुनोत्री विधानसभा सीट राज्य गठन के बाद अस्तित्व में आई। हिमालय की सदानीरा यमुना नदी के उद्गम स्थल व चार धामों में पहले यमुनोत्री धाम की मौजूदगी के चलते इस सीट का महत्व काफी बढ़ जाता है। आगे पढ़िए
इस बार यहां बीजेपी की ओर से पूर्व विधायक केदार सिंह रावत, कांग्रेस की ओर से दीपक बिजल्वाण और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर संजय डोभाल चुनाव मैदान में थे। संजय डोभाल चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि हार के बावजूद केदार सिंह रावत जनता का दिल जीतने में कामयाब रहे। मुद्दों की बात करें तो बनचौरा, ब्रह्मखाल में उप तहसील की मांग, चिन्यालीसौड़ में टिहरी बांध के झील प्रभावितों की समस्या, चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे का अधूरा निर्माण, हातड़ पट्टी में दूर संचार सेवा की बदहाल स्थिति, जोगत में राष्ट्रीयकृत बैंक शाखा की मांग, यमुनाघाटी को पृथक जिला बनाने की मांग और यमुनाघाटी में महिला रोग विशेषज्ञ सहित अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने संबंधी मुद्दे क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे हैं। अब नये विधायक संजय डोभाल के सामने इन समस्याओं को दूर करने की चुनौती होगी, हालांकि वो वादों की कसौटी पर कितने खरे उतरेंगे, ये तो वक्त ही बताएगा।