देवभूमि का कसार देवी मंदिर: इसकी अद्भुत चुंबकीय शक्तियों पर रिसर्च कर रहा है NASA
एक अध्ययन में पता चला है कि अल्मोड़ा स्थित Kasar Devi Temple में अदुभुत Magnetic Power हैं। NASA इस पर Research कर रहा है।
Apr 9 2022 7:10PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड का कसार देवी मंदिर अद्भुत शक्तियों का केंद्र है। कहते हैं यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अनूठी मानसिक शांति मिलती है।
Kasar Devi Temple Magnetic Power
यही वजह है कि अल्मोड़ा स्थित इस मंदिर में हर साल देश-विदेश के कई पर्यटक आते हैं। इस मंदिर में अद्भुत चुंबकीय शक्ति है। कसार देवी मंदिर परिसर में जीपीएस 8 पॉइंट है। यह मंदिर नासा के वैज्ञानिकों के लिए भी हैरानी का सबब बना हुआ है। इतिहास की बात करें तो यह मंदिर दूसरी शताब्दी का बताया जाता है। जो कि कसार नाम के गांव में कश्यप पहाड़ी पर स्थित है। कात्यायनी रूप में देवी सबसे पहले अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर में ही प्रकट हुई थीं। इस मंदिर में नव दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है। साल 1890 में स्वामी विवेकानंद यहां आए थे। यह क्रैंक रिज के लिए भी जाना जाता है। घने जंगलों के बीच बसे इस मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार किया जाता रहा है।
कसार देवी मंदिर के आसपास का क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है। जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है।
Nasa Research Kasar Devi Temple
इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है। जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। पिछले 3 साल से नासा के वैज्ञानिक बेल्ट के बनने के कारणों को जानने में जुटे हैं। वैज्ञानिक अपने अध्ययन से यह पता लगा रहे हैं कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। अब तक हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसार देवी मंदिर, दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोनहैंज में समानताएं हैं। कसार देवी मंदिर पहुंचने के लिए दिल्ली से हल्द्वानी तक ट्रेन और बस के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। हल्द्वानी से बस व टैक्सी के माध्यम से 100 किलोमीटर की दूरी तय कर अल्मोड़ा आना होता है। यहां से कसार देवी मंदिर 10 किलोमीटर दूर है। नवरात्र के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।