image: Duty of 449 lecturers will be imposed in inaccessible areas of Uttarakhand

उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों में दूर होगी शिक्षकों की कमी, 15 अगस्त से पहल तैनात होंगे 449 लेक्चरर

शिक्षा विभाग को राज्य लोक सेवा आयोग से 449 लेक्चरर मिले हैं। जिन्हें दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में भेजा जाएगा।
Aug 4 2022 10:11AM, Writer:कोमल नेगी

बीते दिनों उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी हुआ। हजारों बच्चे हाईस्कूल और इंटर की बोर्ड परीक्षा में पास होने में सफल रहे, लेकिन दुर्गम क्षेत्रों के कई छात्र इस चुनौती को पार नहीं कर सके। करते भी तो कैसे, कोरोना काल में पढ़ाई वैसे ही ठप रही। और अगर स्कूल खुले भी तो कई विषयों के शिक्षक ही नहीं थे।

449 lecturers duty in hilly areas of Uttarakhand

अब राज्य सरकार दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में लेक्चरर की तैनाती के निर्देश दिए हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि विभाग को राज्य लोक सेवा आयोग से 449 लेक्चरर मिले हैं। जिन्हें दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में भेजा जाएगा। उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित 449 लेक्चरर को 15 अगस्त से पहले नियुक्ति देने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा बीमार शिक्षकों को भी बड़ी राहत देने का ऐलान किया गया है।

उन्हें राज्य चिकित्सा बोर्ड की बैठक के बाद बोर्ड के प्रमाण पत्र के आधार पर सुगम क्षेत्र में तैनाती दी जाएगी। दुर्गम श्रेणी के स्कूलों में किस विषय के कितने शिक्षकों को तैनाती दी जाएगी, ये भी बताते हैं। सामान्य शाखा के तहत दुर्गम श्रेणी के स्कूलों में अंग्रेजी विषय के 64, हिंदी के 81, संस्कृत के 18, भौतिक विज्ञान के 46, रसायन विज्ञान के 42, गणित के 6, जीव विज्ञान के 35, नागरिक शास्त्र के 38, अर्थशास्त्र के 74, इतिहास के 8, भूगोल के 17, समाजशास्त्र के 6, कला, मनोविज्ञान एवं कृषि के एक-एक शिक्षक की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा बालिका इंटर कॉलेजों में हिंदी विषय के दो, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान एवं अर्थशास्त्र के 3-3 शिक्षिकाओं को नियुक्ति दी जाएगी। विभागीय मंत्री ने कहा कि लेक्चरर को दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में पांच साल के लिए तैनाती दी जाएगी। जिससे दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर होगी, शिक्षा का स्तर सुधरेगा।


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