खाली हो रहा था पहाड़ का लीती गांव, महिलाओं ने होम स्टे से बदली तकदीर ..शहरों से वापस लौटे युवा
Home Stay शुरू होने के बाद गांव में रौनक बढ़ने लगी तो घर छोड़कर बाहर कमाने गए युवा भी वापस लौटने लगे। आज गांव के युवा क्षेत्र मे रहकर ही रोजगार हासिल कर रहे हैं।
Sep 1 2022 5:15PM, Writer:कोमल नेगी
पलायन को कैसे मात देनी है, ये कोई बागेश्वर के लीती गांव की महिलाओं से सीखे।
Bageshwar Leeti village Home Stay In Uttarakhand
इस गांव में रहने वाली महिलाओं ने बेरोजगारी और पलायन की समस्या को दूर करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। गांव की 30 महिलाएं मिलकर क्षेत्र में होम स्टे चला रही हैं। होम स्टे यानि पर्यटक यहां आकर रहें और यहां के भोजन, रीति रिवाज का आनंद लें, वह भी खालिस स्थानीय तरीके से। इनमें फाइव स्टार होटलों सी बनावट नहीं होती। इसलिए यह कॉन्सेप्ट काफी मशहूर हो चुका है। उत्तराखंड में पलायन की समस्या कितनी गंभीर है, ये हम सब जानते हैं। पहाड़ के सैकड़ों गांव खाली हो गए हैं। कुछ वक्त पहले तक लीती गांव भी पलायन से लड़ रहा था। ऐसे में गांव की महिलाओं ने हिम्मत करके यहां होम स्टे की शुरुआत की। वैसे तो पूरे उत्तराखंड में ही होम स्टे संचालित हो रहे हैं, लेकिन बागेश्वर जिले के लीती गांव में 30 होम स्टे हैं। कोरोना महामारी के दौरान ये होम स्टे उन लोगों के लिए वरदान साबित हुए जो शहर के प्रदूषण और संक्रमण से दूर प्रकृति के पास आइसोलेशन में रहकर वर्क फ्रॉम होम सुविधा का लाभ उठाना चाहते थे। आगे पढ़िए
Home Stay In Uttarakhand
गांव में होम स्टे की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। पहले पहल 6 महिलाएं आगे आईं। उन्होंने अपनी जमा-पूंजी से यह काम शुरू किया। काम जमने लगा तो दूसरी महिलाओं ने भी इस कांसेप्ट को अपनाना शुरू कर दिया। अब सरकार भी होम स्टे के लिए लोन देने लगी है। राज्य सरकार एक होम स्टे बनाने के लिए 30 लाख तक का लोन देती है। इसमें 50 प्रतिशत अनुदान होता है और बाकी के लोन के ब्याज में 50 पर्सेंट की छूट भी होती है। इन महिलाओं का आपसी मेलजोल इनकी कामयाबी की बड़ी वजह है। एक होम स्टे में एक महीने में औसतन 10 से 12 लोग ठहरने आते हैं। बनावटी होटलों की जगह लोग इन होम स्टे में ठहरने को प्राथमिकता दे रहे हैं। अच्छी बात ये है कि होम स्टे से गांव में रौनक बढ़ने के बाद घर छोड़कर बाहर कमाने गए युवा भी वापस लौटने लगे हैं। पिछले कुछ महीनों में कई लोग बाहरी राज्यों से वापस बागेश्वर लौट चुके हैं और होम स्टे के माध्यम से अपनी आजीविका चला रहे हैं।