गढ़वाल में गुलदार के डर से खाली हो गया पूरा गांव, आखिरी परिवार ने भी घर छोड़ा
सरकार पलायन दूर करने के लिए योजनाएं बना रही है, लेकिन जहां हमारे बच्चे ही सुरक्षित न हों, वहां भला कोई क्यों रहना चाहेगा।
Sep 1 2022 5:59PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में मानव और वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाएं लोगों को अपना घर-गांव छोड़ने को मजबूर कर रही हैं।
Pauri Garhwal Bharatpur People left village
सरकार पलायन दूर करने के लिए योजनाएं बना रही हैं, लेकिन जहां हमारे बच्चे ही सुरक्षित न हों, वहां भला कोई क्यों रहना चाहेगा। स्थिति कितनी गंभीर हो चुकी है, इसका अंदाजा आप सतपुली के भरतपुर गांव को देखकर लगा सकते हैं। बीते दिनों गुलदार की दहशत के चलते यहां के अंतिम परिवार ने भी गांव छोड़ दिया। एक सप्ताह पहले भी दुगड्डा का गोदी बड़ी गांव पूरी तरह खाली हो चुका है। पोखड़ा और एकेश्वर विकासखंड के कई गांवों में पलायन का सिलसिला रुक नहीं रहा। पोखड़ा ब्लॉक की ग्राम पंचायत मजगांव में डबरा, सुदंरई, नौल्यूं, भरतपुर और चौबट्टाखाल बाजार का आंशिक क्षेत्र पड़ता है। चौबट्टाखाल बाजार में रह रहे पूर्व जिला पंचायत सदस्य और भरतपुर गांव के मूल निवासी प्रवेश सुंद्रियाल बताते हैं कि उनके बड़े भाई रमेश चंद्र सुंद्रियाल गुलदार के डर से परिवार समेत निकटवर्ती कस्बे गवाणी में शिफ्ट हो गए हैं। गांव के रमाकांत सुंद्रियाल भी गांव से करीब 300 मीटर ऊपर सड़क पर नया मकान बनाकर रहने लगे हैं। गांव के दो परिवारों में से एक ने दिल्ली और दूसरे ने देहरादून का रुख कर लिया है। गांव में गुलदार कभी भी आ जाता है। हाल ये है कि बच्चियों को दूसरे क्षेत्रों में पढ़ना पड़ रहा है। आगे पढ़िए
Pauri Garhwal Leopard
भरतपुर के पास स्थित डबरा गांव के कांता प्रसाद बताते हैं कि उन्होंने अपनी दो बेटियों को उनके ननिहाल भेज दिया है। बेटा यहीं चमनाऊ में पढ़ रहा है, लेकिन उसे छोड़ने और लेने के लिए कांता प्रसाद खुद जाते हैं। इसके लिए 3 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। क्षेत्र में कई घटनाओं के बाद जब वन विभाग और शासन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया तो यहां के गांव वालों के लिए पलायन ही एकमात्र विकल्प बचा। उधर रेंज अधिकारी दमदेवल रुचि चौहान का कहना है कि भरतपुर के चार परिवार अन्यत्र शिफ्ट हो गए हैं। क्षेत्र में गुलदार का खतरा बना हुआ है। विभाग की ओर से मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
पोखड़ा में हुई गुलदार के हमले की घटनाएं
10 जून 2021- गोदांबरी देवी की गुलदार के हमले में मौत
25 मई 2018- मजगांव निवासी वीरेंद्र कुमार (67) की मौत..आगे पढ़िए
Pauri Garhwal Leopard attack
पोखड़ा गांव में गुलदार के हमले में घायल
15 जुलाई 2019- खंदोरी निवासी दिनेश सिंह हमले में घायल।
15 अक्टूबर 2019- कस्याणी में चार वर्षीय बच्चे पर घर में हमला।
16 दिसंबर 2019- बगड़ीगाड में युवक साहिल पर हमला।
18 मार्च 2020- गवाणी गांव के अनिल सिंह पर हमला।
18 जुलाई 2020- थापला में घर के आंगन में बैठी किशोरी अनामिका पर हमला।
6 मार्च 2021- कुई गांव निवासी कांति देवी पर हमला।
22 मई 2021- सुन्दरई गांव की जयेश्वरी देवी पर हमला।
9 जून 2021- गवाणी गांव के निकट नेपाली मजदूर पर हमला कर उसे दौड़ाया।