image: It is difficult to be permanent for Uttarakhand temporary teachers

उत्तराखंड में अस्थाई शिक्षकों को लगा बड़ा झटका, हिमाचल की तरह पक्की नौकरी लगना मुश्किल!

मगर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के तमाम अस्थाई शिक्षकों को एक बड़ा झटका दे दिया है। आप भी पढ़िए पूरी खबर
Oct 29 2022 12:10PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में लंबे वक्त से अस्थाई होकर अपनी सेवा देने वाले शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बड़ा झटका दिया गया है।

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उत्तराखंड के अस्थायी शिक्षक 21 साल की सेवा के बावजूद स्थायी नहीं हो सकेंगे। वे हिमाचल प्रदेश की तरह नियमित नियुक्ति नहीं पा सकेंगे। दरअसल हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के सभी अस्थाई शिक्षकों को स्थाई करने की मंजूरी दे दी थी। तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के शिक्षकों की नियमित नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव को कैबिनेट में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए थे। प्रस्ताव को शासन ने यह कहते हुए मना कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के जिस आदेश पर हिमाचल में शिक्षकों को नियमित किया गया नियमानुसार उसे उत्तराखंड में लागू नहीं किया जा सकता। दरअसल हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में सेवारत करीब 15 हजार अस्थायी शिक्षकों के खिलाफ सभी याचिकाओं को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में बड़ी राहत दी थी और सभी अस्थाई शिक्षकों को स्थाई किया था। आगे पढ़िए

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद उत्तराखंड में वर्ष 2001 से सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षा मित्रों को भी नियमित होने की आस जगी थी। वे हिमाचल प्रदेश की तरह बिना टीईटी के नियमित नियुक्ति की मांग कर रहे थे। शिक्षा मित्रों और औपबंधिक शिक्षकों की मांग पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 20 सितंबर 2021 को मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि हिमाचल प्रदेश की तरह इन शिक्षकों को टीईटी से मुक्त कर इन्हें नियमित करने का प्रस्ताव आगामी कैबिनेट में लाया जाए। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी हाल ही में शिक्षा मित्रों को नियमित को लेकर हिमाचल प्रदेश के मामलों का परीक्षण कराने के निर्देेेश दिए थे, लेकिन शासन ने बिना टीईटी के उन्हें नियमित करने से मना कर दिया।


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