लैंसडौन सिर्फ ट्रेलर है, अब देहरादून, नैनीताल में बदल जाएगा कई जगहों का नाम! CM ने दिए संकेत
लैंसडौन 608 हेक्टेयर में फैला सैन्य छावनी क्षेत्र है, इस स्थान का नाम 21 सितंबर 1890 को तत्कालीन वायसराय लार्ड लैंसडौन के नाम पर लैंसडौन रखा गया।
Oct 29 2022 2:20PM, Writer:कोमल नेगी
लैंसडौन...उत्तराखंड का मशहूर सैन्य छावनी क्षेत्र। जल्द ही इस शहर के सौ साल से भी अधिक पुराने नाम को बदल दिया जाएगा। लैंसडौन नाम ब्रिटिशकालीन है, लेकिन जल्द ही गुलामी के प्रतीक रहे इस नाम को विदाई देकर शहर को एक नई पहचान दी जाएगी।
many places can be changed in uttarakhand
सूरजकुंड में मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा पर उत्तराखंड में भी गुलामी के प्रतीक और ब्रिटिशकालीन नाम बदले जाएंगे। इसके लिए संबंधित विभागों से सूची मांगी जाएगी, जिसके बाद नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू होगी। आपको बता दें कि राज्य में लैंसडौन, मसूरी, देहरादून, नैनीताल, रानीखेत समेत विभिन्न शहरों व क्षेत्रों के साथ ही छावनी परिषदों के अंतर्गत सड़कों, स्थानों के नाम ब्रिटिशकालीन हैं, जिन्हें बदलने की मांग समय-समय पर उठती रही है। बात करें लैंसडौन की तो कभी इस शहर को कालौं डांडा कहा जाता था, जिसे अंग्रेजी शासनकाल के दौरान वायसराय लार्ड लैंसडौन के नाम पर लैंसडौन कर दिया गया था।
छावनी नगर लैंसडौन में अन्य कई स्थानों के नाम ब्रिटिशकालीन हैं। मसूरी, देहरादून, नैनीताल में भी सड़कों, संस्थानों व सार्वजनिक स्थलों के ऐसे नाम अक्सर सुनने को मिल जाते है, जिन्हें भारतीय आज भी ढो रहे हैं। अब लैंसडौन का नाम बदलने की तैयारी है, जिसके बाद अन्य स्थलों से भी गुलामी के प्रतीक रहे नाम हटाए जाएंगे। यहां आपको लैंसडौन के बारे में कुछ और बातें भी जाननी चाहिए। लैंसडौन 608 हेक्टेयर में फैला सैन्य छावनी क्षेत्र है, इस स्थान का नाम 21 सितंबर 1890 तत्कालीन वायसराय लार्ड लैंसडौन के नाम पर लैंसडौन रखा गया। अब रक्षा मंत्रालय ने ब्रिटिशकाल में छावनी क्षेत्रों की सड़कों, स्कूलों, संस्थानों, नगरों और उपनगरों के रखे गए नामों को बदलने के लिए उत्तराखंड सब एरिया के साथ सेना के अधिकारियों से प्रस्ताव मांगें हैं, जिसके बाद शहर का नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई है।