गढ़वाल के सैणा गांव का लाल: IMA का बेस्ट कैडेट, जो आगे चलकर बना देश का पहला CDS
दिवंगत CDS General Bipin Rawat को उनकी पहली पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस दौरान लोग अपने सच्चे हीरो को याद कर भावुक हो गए।
Dec 8 2022 4:40PM, Writer:कोमल नेगी
कहते हैं वक्त के साथ हर जख्म भर जाता है, दर्द कम हो जाता है, लेकिन कुछ जख्म गुजरते वक्त के साथ भी नहीं भरते। पिछले साल 8 दिसंबर को देश को ऐसी ही क्षति उठानी पड़ी थी, जब देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत एक हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए थे। आज उस हादसे को एक साल हो गया। दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत को उनकी पहली पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस दौरान अपने हीरो को याद कर लोग भावुक हो गए।
Life story of CDS General Bipin Rawat
जनरल रावत को जनवरी 2020 में देश का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया था। उससे पहले 17 दिसंबर 2016 को भारत सरकार ने उन्हें 27वें थल सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था। वो मूलरूप से उत्तराखंड के सैंणा गांव के रहने वाले थे। आज राज्य समीक्षा आपको जनरल बिपिन रावत के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने रहा है, जिनके बारे में जानकर आप भी गर्व से भर उठेंगे। आपको पहाड़ की उस मिट्टी पर गर्व होगा, जिससे पूर्व सीडीएस बिपिन रावत जैसे देशभक्त निकले हैं। पूर्व सीडीएस बिपिन रावत ने अपने सैन्य काल में देश की रक्षा के लिए कई बड़े निर्णय लिए। वो मूलरूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले थे। उनके पिता एलएस रावत भी सेना में बड़े अधिकारी थे। वे भारतीय सेना के डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे। साल 1978 में बिपिन रावत आईएमए से पास आउट हुए। जिसके बाद उन्हें 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला। आगे पढ़िए
बिपिन रावत भारतीय सैन्य एकेडमी के बेस्ट कैडेट थे। उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर भी मिला था। बिपिन रावत ने कई लेख लिखे हैं, जो दुनियाभर में मशहूर हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा पर लिखे उनके लेख दुनियाभर के कई जर्नल्स में प्रकाशित किए जा चुके हैं। वो दक्षिणी कमान के कमांडर और सह सेनाध्यक्ष के पद पर भी रह चुके थे। उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने तत्कालीन जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान में स्थित आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की थी। साल 2015 में मणिपुर में आतंकी हमले में 18 सैनिकों की शहादत के बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था। तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे। उनके नेतृत्व में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन ऑल आउट चलाया गया। आर्टिकल 370 के बाद जम्मू कश्मीर के हालात को काबू करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई। बिपिन रावत पाकिस्तान को सख्त लहजे में जवाब देने में मुखर रहे। उनका पहाड़ों से गहरा नाता रहा है, शायद ये एक बड़ी वजह रही कि उनके इरादे चट्टानों की तरह मजबूत थे। CDS General Bipin Rawat को उनके पूरे करियर में अब तक अनेकों सम्मान से नवाजा जा चुका है। जिनमें अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल आदि जैसे कई सम्मान शामिल हैं। मरणोपरांत उन्हें पद्म विभूषण सम्मान से भी नवाजा गया है।