खतरे में गढ़वाल का जोशीमठ नगर..500 से ज्यादा मकानों में दरारें, तिरछा हुआ बहुमंजिला होटल
जोशीमठ शहर में भूधंसाव एक गंभीर समस्या है। साल 2021 में यहां गांधीनगर में एकाएक मकानों में दरारें आनी शुरू हुईं, जो की बढ़ती चली गईं।
Dec 27 2022 5:24PM, Writer:कोमल नेगी
चमोली जिले का जोशीमठ शहर भूधंसाव की चपेट में है। राज्य सरकार ने शहर को बचाने के लिए प्लान बनाया है। भूधंसाव की समस्या कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा आप ऊपर दिख रही तस्वीर से लगा सकते हैं।
Crack in more than 500 houses in Joshimath
ये तस्वीर एक बहुमंजिला होटल की है, जो कि धंसते हुए तिरछा हो गया है। होटल की ये हालत देख यहां आने वाले पर्यटक डरे हुए हैं। थाने के समीप स्थित इस होटल के तिरछा होने की सूचना मिलने पर एसडीएम कुमकुम जोशी व नगर पालिका की टीम भी निरीक्षण के लिए पहुंची। बताया गया कि प्रशासन की ओर से भूगर्भीय जांच कराई जा रही है, ताकि खतरे को देखते हुए इसे पर्यटकों के लिए बंद कराया जाए। ये होटल चार मंजिला है, होटल के भीतर भी मोटी दरारे हैं। जोशीमठ शहर में भू-धंसाव एक गंभीर समस्या है। साल 2021 में यहां गांधीनगर में एकाएक मकानों में दरारें आनी शुरू हुईं, जो की बढ़ती गईं।
पहले तो इसे मानसून का असर माना गया, लेकिन धीरे-धीरे भूधंसाव का दायरा बढ़ता चला गया। मनोहर बाग, टीसीपी बाजार, नृसिंह मंदिर, दौडिल और रविग्राम समेत तमाम क्षेत्रों में मकानों में दरारें आ गई हैं। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि दरारों की वजह एनटीपीसी की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना है। प्रशासन की ओर से कराए गए सर्वे में यहां के 559 मकानों, भूखंडों में गहरी, आंशिक दरारें दर्ज की गई हैं। वैज्ञानिकों की टीम भी शहर का सर्वेक्षण कर चुकी है। टीम ने नगर में जल निकासी और सीवरेज की निकासी की सही व्यवस्था न होने को इस भूधंसाव का प्रमुख कारण बताया था। जोशीमठ पर्यटन और धार्मिक नगरी के रूप में मशहूर है। यहां हो रहे भूधंसाव का असर पर्यटन व्यवसाय पर भी पड़ रहा है। डरे हुए लोग अपने घरों को छोड़ रहे हैं। इस पौराणिक शहर को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है।