उत्तराखंड पुलिस अपने ही दरोगा को इंसाफ नहीं दिला पाई, सिपाहियों ने चौकी में बुरी तरह पीटा था
हैरानी इस बात की है कि पीड़ित दरोगा की फरियाद पुलिस ने भी नहीं सुनी। दरोगा को इंसाफ के लिए कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। तब कहीं जाकर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हो सका।
Jan 19 2023 6:32PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड पुलिस खुद का जनता का मित्र कहती है, लेकिन ये मित्र पुलिस अपने ही महकमे के दरोगा से मित्रता नहीं निभा पाई।
Uttarakhand Police Inspector Krishna Kumar Singh Case
आरोप है कि दरोगा से थाने में साथी पुलिसकर्मियों ने मारपीट की, ये तो हुई घटना की बात, लेकिन हैरानी इस बात की है कि पीड़ित दरोगा की फरियाद पुलिस ने भी नहीं सुनी। दरोगा को इंसाफ के लिए कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। तब कहीं जाकर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हो सका। मामला बीते साल जून का है। तब पीड़ित कृष्ण कुमार सिंह त्यूनी थाने में इंचार्ज हुआ करते थे। कोर्ट में अपील करते हुए उन्होंने कहा कि 3 जून 2022 को रात 11 बजे उन्होंने थाने के मुंशी शमशेर सिंह को जगाया। उनसे कहा कि पुलिसकर्मियों को गश्त पर निकलना होगा। इसके लिए सिपाही लोकेंद्र चौहान और जयेंद्र राणा को भी जगाया गया। आरोप है कि दोनों पुलिसकर्मी गश्त पर नहीं जाना चाहते थे, वो बिना वर्दी पहुंचे थे। होमगार्ड भी बिना वर्दी आया था। आगे पढ़िए
उसी वक्त ड्राइवर संदीप रावत भी वहां पहुंच गया। ये चारों गुस्से में थे और मिलकर दरोगा कृष्ण कुमार की पिटाई कर दी। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि पुलिस अफसरों ने भी पीड़ित दरोगा की फरियाद नहीं सुनी। नतीजतन उसे कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट के आदेश पर आरोपी सिपाही लोकेंद्र चौहान, शमशेर सिंह, संदीप रावत और होमगार्ड संसार सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर जांच की जा रही है। पीड़ित दरोगा कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि मैंने इस मामले में कार्रवाई के लिए पुलिस अफसरों से कई बार अपील की, लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। अब उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है। सोचिए जब एक पुलिसवाले को ही इंसाफ नहीं मिल रहा, उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही तो आम लोगों का थाने-चौकियों में क्या हाल होता होगा। बहरहाल कोर्ट के दखल के बाद पीड़ित दरोगा की शिकायत पर केस दर्ज हो गया है।