उत्तराखंड के कृष्णा लटवाल ने शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती, कमा रहे हैं 10 गुना मुनाफा
ड्रैगनफ्रूट की खेती में है मुनाफा ही मुनाफा, हल्द्वानी के कृष्णा सिंह लटवाल कर रहे हैं ड्रैगन फ्रूट की खेती
Mar 3 2023 11:59AM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
ड्रैगन फ्रूट की खेती यूं तो बड़ी मुश्किल है मगर ड्रैगन फ्रूट की खेती अब धीरे-धीरे भारत के अन्य राज्यों में भी शुरू हो गई है।
Haldwani Krishna Latwal Dragon Fruit Farming
इस फल की डिमांड तेजी से बढ़ रह है और ऐसे में अब उत्तराखंड के किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर अपना रुझान कर रहे हैं। नैनीताल जनपद के हल्द्वानी ब्लॉक के मोटाहल्दू स्थित किसान कृष्णा सिंह लटवाल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं।अभी तक वे पारंपरिक धान, गेहूं की खेती हु करते आ रहे हैं, लेकिन उन्होंने पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती को शुरू किया है। उन्होंने 2 बीघे में करीब 400 से अधिक ड्रैगन के पौधे लगाए हैं, जो पूरी तरह से ऑर्गेनिक हैं। इससे वे 8 से 10 गुना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि यह फल ज्यादा भाव में बिकता है। यह फल थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका और इजराइल जैसे देशों में काफी लोकप्रिय है लेकिन अब भारत में भी इस फल की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। आगे जानिए इसके फायदे
benefit of Dragon Fruit
इसमें एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है और यह फल डायबिटीज को कम करने के साथ कोलेस्ट्रॉल के लिए भी लाभदायक है।उद्यान विभाग अधिकारी हल्द्वानी भुवन चंद्र कर्नाटक का भी यही मानना है कि ड्रैगन फ्रूट नैनीताल जिले के किसानों के लिए बेहतर खेती साबित हो सकती है। इसके लिए उद्यान विभाग किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 37500 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान भी दे रहा है, जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा ड्रैगन फ्रूट की खेती कर सकें।उन्होंने यह भी बताया कि यह जंगली जानवरों की पहुंच से भी दूर है। पारंपरिक खेती में पहाड़ों पर जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन ड्रैगन पौधे को जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, क्योंकि यह एक कैक्टस प्रजाति की तरह पौधा होता है। इसकी खेती बंजर जमीन पर भी की जा सकती है।