गढ़वाल: शहर से लाखों की नौकरी छोड़ गांव लौटे महेन्द्र बिष्ट, अब खेती से हो रही है शानदार कमाई
महेंद्र के पास शहर में लाखों के पैकेज वाली जॉब थी, लेकिन वो अपने गांव में ही कुछ करना चाहते थे। महेंद्र ने दिल की सुनी और गांव लौटकर बागवानी करने लगे।
Mar 4 2023 11:55AM, Writer:कोमल नेगी
पलायन को मात देनी है तो हमें पहाड़ में ही रोजगार के संसाधन जुटाने होंगे। देर से ही सही पहाड़ के युवा इस बात को समझने लगे हैं कि शहरों में धक्के खाने के बजाय पहाड़ में रहकर भी कुछ बेहतर किया जा सकता है।
Story of chamoli farmer mahendra bisht
चमोली के रहने वाले महेंद्र बिष्ट ऐसे ही युवाओं में से एक हैं। पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर महेंद्र दशोली ब्लॉक के सरतोली गांव के रहने वाले हैं। उनके पास शहर में लाखों के पैकेज वाली जॉब थी, लेकिन महेंद्र अपने गांव में ही कुछ करना चाहते थे। महेंद्र ने दिल की सुनी और गांव लौटकर बागवानी करने लगे। इससे उनको अच्छी आमदनी भी हो रही है। महेंद्र बिष्ट के सफल प्रयास को देखकर उन्हें कई बार सरकार और विभिन्न संस्थानों ने सम्मानित भी किया है। 17 साल पहले महेंद्र भी दूसरे युवाओं की तरह बेहतर जिंदगी की चाह में दिल्ली चले गए थे। वहां वह ओमैक्स ऑटो लिमिटेड कंपनी में प्रोडक्शन मैनेजर के पद पर कार्य कर रहे थे।
सालाना पैकेज 10 लाख से ज्यादा था, लेकिन शहर में महेंद्र का मन नहीं लगा। साल 2019 में वो गांव लौट आए और गांव वालों की बंजर पड़ी 200 नाली जमीन 20 सालों के लिए लीज पर ले ली। यहां महेंद्र सब्जियां उगाने लगे, दूध उत्पादन भी करने लगे। अब महेंद्र अपने गांव में रहकर ही 60 हजार रुपये प्रतिमाह कमा रहे हैं। इंडियन सोसाइटी ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें ‘देवभूमि बागवानी’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। महेंद्र ने पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन शुरू किया है। नींबू और कीवी की खेती भी कर रहे हैं। आज महेंद्र बागवानी से हर महीने 60 हजार से ज्यादा कमा रहे हैं, इतना ही नहीं उन्होंने गांव के कई युवाओं को रोजगार भी दिया है। दूसरे गांवों के युवा भी महेंद्र से सीख लेकर स्वरोजगार को अपना रहे हैं।