image: Germany Elizabeth lived in Chamoli Dewal for 23 years

गढ़वाल घूमने आई थी जर्मनी की एलिजाबेथ, 23 साल यहीं रही, यशोदा बनकर अनाथ बच्चों को पाला

उत्तराखंड घूमने के लिए आई थीं एलिजाबेथ, 23 साल तक यशोदा बन बच्चों को पाला, 84 वर्ष की उम्र में जर्मनी लौटने पर सिसक पड़े लोग
May 27 2023 2:55PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

यह खबर भले ही कई लोगों के लिए अविश्वसनीय हो मगर दुनिया में अब भी कुछ ऐसे लोग हैं, जिनकी वजह से यह दुनिया थोड़ी और सुंदर और पृथ्वी थोड़ी और अधिक प्यारी लगती है।

Germany Elizabeth lived in Chamoli for 23 years

जिनका होना मात्र एहसास कराने के लिए काफी है कि प्रेम और सिर्फ प्रेम पर यह दुनिया चलती है। यह कहानी है चमोली के देवाल विकासखंड की। आज से 23 साल पहले यहां पर जर्मनी की एलिजाबेथ घूमने के लिए आई। 61 वर्ष की उम्र में रूपकुंड ट्रैकिंग के लिए आईं जर्मनी की एलिजाबेथ को मुंदोली की एक घटना ने ऐसा झकझोरा की वह यहीं की होकर रह गईं। उन्होंने देवाल विकासखंड के दो बच्चों को गोद लिया और यशोदा बन कर उनकी परवरिश की। उन्हें पढ़ाया-लिखाया और शादी भी धूमधाम से की। केवल यही नहीं उन्होंने गांवों के कई अन्य बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी खुद ली और उनका कॅरिअर बनाने के लिए कई कोर्स भी कराए। आज यह बच्चे अन्य शहरों में नौकरी कर रहे हैं। बीते मंगलवार को जब एलिजाबेथ अपने देश लौटने लगीं तो पूरा गांव रो पड़ा।

जब वे वापस अपने देश लौट रही थीं तो उन्होंने भावुक होते हुए कहा - " 23 साल मैं इस क्षेत्र में रही। अब उम्र के 84वें पड़ाव में पहुंचने के बाद शरीर से कमजोर हो गई हूं। अब अपने देश जा रही हूं, लेकिन यहां की यादें हमेशा दिल में रहेंगी। " जब एलिजाबेथ 61 वर्ष की थीं, तब वे उत्तराखंड ट्रेकिंग के लिए आईं थीं। उस वक्त मुंदोली के काम सिंह व उसकी पत्नी की अचानक मौत के बाद उनकी छह साल की बेटी विमला व तीन साल का बेटा भगत अनाथ हो गया था। इन बच्चों के बारे में भुवन बिष्ट ने एलिजाबेथ को बताया। इस घटना ने एलिजाबेथ को झकझोर कर रख दिया था। इसके बाद उन्होंने दोनों बच्चों को गोद ले लिया और यहीं रहने लगीं। यही नहीं विमला का विवाह भी बड़े धूमधाम से किया था और देवाल ब्लॉक के वाक, कुलिंग, वाण, मुंदोली गांव के 17 बच्चों के भरण पोषण व शिक्षा में भी मदद की। कई का उपचार भी कराया। वाण की एक बेटी को उन्होंने बीएड, एमए कराया। वहीं कुलिंग की ज्योति को फार्मासिस्ट व लक्ष्मी को एएनम का प्रशिक्षण दिलाया। जीवन के 84 वर्ष पूरे हो जाने बाद में वे अपने साथ कई यादें लेकर जर्मनी लौट रही हैं। उनको जाता देख पूरा गांव भावुक हो गया और सभी की आंखें भर आईं।


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