उत्तराखंड में रंगत बिखेर रहा है बेहद दुर्लभ ब्लू पॉपी, जानिए जापान से कैसे पहुंचा था भारत
दुर्लभ जैव विविधता के कारण फूलों की घाटी को वर्ष 2005 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है। इन दिनों यहां 25 प्रजाति के दुर्लभ फूल खिले हैं।
Jul 11 2023 9:51AM, Writer:कोमल नेगी
चमोली जिले में स्थित वैली ऑफ फ्लॉवर्स को धरती का परिलोक कहा जाए तो गलत नहीं होगा। जो भी यहां आता है वो यहां के प्राकृतिक सौंदर्य में सुध-बुध खो बैठता है।
Himalayan blue poppy blossoms in Valley of Flowers
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित फूलों की घाटी समुद्र तल से करीब 3600 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी बुग्याल है। इन दिनों इस घाटी में पोटेंटिल्ला, रेनियम,एनीमोना, प्रिमूला,मार्श मैरी गोल्ड, फॉरगेट मी नॉट, एस्टर, स्नेक लिली के साथ ही हिमालयन ब्लू पॉपी समेत 25 से अधिक प्रजातियों के मनमोहक फूल खिले हैं। फूलों की घाटी को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है। यहां आने वाले लोगों को जो फूल इन दिनों सबसे ज्यादा आकर्षित कर रहा है, वो है हिमालयन ब्लू पॉपी, जिसे अल्पाइन हिमालय के पुष्पों की रानी कहा जाता है। जापानी प्रकृति प्रेमियों की पहली पसंद इस ब्लू पॉपी पुष्प के वैली में समय पर खिलने की खबर से जापानी पर्यटक खुश हैं। दरअसल चमोली की इस घाटी में ब्लू पॉपी को लाने का श्रेय जापानी छात्रों को ही दिया जाता है।
कहते हैं कि इस घाटी में ब्लू पॉपी के फूल पहले नहीं हुआ करते थे। बताया जाता है कि वर्ष 1986 के आसपास भारत में अध्ययन के लिए आया जापानी छात्र चो बकांबे एक शोध के लिए इन फूलों की पौध को भारत लाया था। यहां 1 जून से 31 अक्टूबर तक देश-विदेश से हजारों प्रकृति प्रेमी पर्यटक घाटी की खूबसूरती का दीदार करने पहुंचते हैं। अपनी दुर्लभ जैव विविधता के कारण इस खूबसूरत घाटी को वर्ष 2005 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया गया। इसे ब्रिटिश पर्वतारोही ओर बॉटनिस्ट फ्रैंक स्मिथ ने वर्ष 1932 में अपने सफल कॉमेट पर्वतारोहण अभियान के दौरान खोजा था। फूलों की घाटी से घांघरिया क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। अब तक घाटी में करीब 1500 से अधिक भारतीय और 40 के करीब विदेशी पर्यटक पहुंच चुके हैं।