Uttarakhand news: 1 साल से नहीं मिला किराया, सरकारी अस्पताल पर मकान मालिक ने जड़ा ताला
Almora Government Hospital Locked डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी भवन मालिक से अस्पताल का ताला खोलने की गुहार लगाते रहे, लेकिन उसने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया।
Dec 20 2023 2:04PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। कहीं अस्पताल नहीं हैं तो कहीं डॉक्टर, और जहां ये दोनों हैं, वहां भी सरकारी कारिंदों की लापरवाही के चलते लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रहीं।
Almora Dhaula China Government Hospital Rent Case
मामला अल्मोड़ा के धौलाछीना का है। एक न्यूज पोर्टल की खबर के मुताबिक यहां कनारीछीना में सात कमरों के भवन में संचालित राजकीय एलोपैथिक और आयुर्वेदिक अस्पताल पर भवन मालिक ने ताला जड़ दिया। भवन मालिक ने ऐसा क्यों किया, ये भी बताते हैं। दरअसल किराये पर चल रहे इस अस्पताल का किराया महज 150 रुपये मासिक है, लेकिन सरकार से ये किराया भी नहीं दिया जा रहा। इससे गुस्साए भवन स्वामी ने यहां ताला जड़ दिया। सोमवार को डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अस्पताल पहुंचे तो उन्हें यहां ताला लटका दिखा। डॉक्टरों ने भवन स्वामी से कई बार ताला खोलने को कहा, लेकिन उसके इनकार करने के बाद सभी को वापस लौटना पड़ा। भवन मालिक बहादुर सिंह ने बताया कि वो एक साल से किराये के भुगतान का अनुरोध कर रहे हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं है। वह अब तक मरीजों के हित को देखते हुए चुप थे, लेकिन सोमवार को उन्हें भवन पर ताला जड़ना पड़ा।
बहादुर सिंह ने कहा कि जब तक उन्हें बकाया और बढ़ा हुआ किराया नहीं मिलेगा, तब तक ताला नहीं खोलेंगे। भवन मालिक के मुताबिक 1975 से उनके सात कमरों के भवन के छह कमरों में राजकीय प्राथमिक एलोपैथिक अस्पताल और एक कमरे में आयुर्वेदिक अस्पताल चल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग उन्हें इसका 48 वर्ष पहले तय 150 रुपये मासिक किराया देता आया है। विभाग ने न तो किराया बढ़ाया और न ही तय किराया दे रहा है। भवन में ताला लग जाने से एलोपैथिक और आयुर्वेदिक, दोनों ही अस्पतालों का संचालन ठप हो गया है। एक तरफ स्वास्थ्य विभाग अस्पताल भवन का किराया (Almora Government Hospital Locked) नहीं दे पा रहा, तो वहीं दूसरी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कनारीछीना के भवन का निर्माण कार्य भी अधर में लटका हुआ है। पिछले करीब एक साल से अस्पताल भवन के निर्माण का कार्य ठप है। दो साल पहले जो ढांचा खड़ा किया गया था, वो भी अब खंडहर में तब्दील होकर रह गया है।