उत्तराखंड: खतरे में विश्वप्रसिद्ध नैनी झील, दीवारों के लगातार धंसाव पर वैज्ञानिक चिंतित
कुछ सालों से नैनीताल बैंड स्टैंड से लेकर कैपिटल सिनेमा तक झील से सटी दीवारें दरकती जा रही हैं। झील की दीवारों का कमजोर होने का एक सबसे बड़ा कारण चूहे भी हैं..
Mar 17 2024 12:46PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड में बसा झीलों का शहर, नैनीताल। इसका मुख्य आकर्षण है "नैनी झील" (Naini Lake)। पर्यटक नैनी झील में बोटिंग और झील के निकट माँ नैना देवी के दर्शन करने आते हैं। नैनी झील को त्रि-ऋषि सरोवर भी कहा जाता है। श्री स्कन्द पुराण के मानस खंड के अनुसार तीन ऋषियों अत्री, पुलस्त्य और पुलाह द्वारा इस झील का निर्माण किया था। नैनी झील के उत्तरी किनारे को मल्लीताल और दक्षिणी किनारे को तल्लीताल कहते हैं।
Naini Lake of Nainital in Danger
लेकिन नैनी झील का उत्तरी क्षेत्र (मल्लीताल क्षेत्र) खतरे में है। ताजा अपडेट ये हैं कि, नैनी झील के उत्तरी क्षेत्र से सटी सटी दीवारों को चूहों ने काफी नुकसान पहुंचा दिया है। चूहे न केवल दीवार कुरेद रहे हैं, बल्कि जगह-जगह बिल बनाकर दीवारों को कमजोर भी कर रहे हैं। ऐसे में झील से सटी दीवारों के ढहने का अंदेशा बना हुआ है। राज्य सिंचाई विभाग भी इस मामले को गंभीरता से लेकर उसका प्रभावी समाधान खोजने का प्रयास कर रहा है। चूहों से निपटना विभाग के लिए एक चुनौती हो गई है।
नैनीताल बोट हाउस क्लब, बैंड स्टैंड, पंत पार्क, से लेकर कैपिटल सिनेमा तक का भू-भाग नैनी झील के मल्लीताल क्षेत्र से लगा हुआ है। नैनी झील दीवार वर्षों पहले बनाई गई थी, लेकिन कुछ सालों से नैनीताल बैंड स्टैंड से लेकर कैपिटल सिनेमा तक झील से सटी दीवारें दरकती जा रही हैं। झील की दीवारों का कमजोर होने का एक सबसे बड़ा कारण चूहे भी हैं, क्योंकि झील से सटी दीवारों में बनाए गए बिलों में यह घुस जाते हैं और दीवार को कुरेदने लगते हैं। जिससे कि झील के आस-पास की भूमि में भू-धंसाव भी हो रहा है।
नैनीझील से सटी दीवारों पर लगातार धंसाव
नैनी झील से सटी दीवारों को चूहों के साथ-साथ झील में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजाति की मछलियां भी कमजोर बना रही हैं। मत्स्य विज्ञान विभाग के डॉ. आशुतोष मिश्रा ने बताया कि , नैनीझील से सटी दीवारों पर लगातार धंसाव होने का एक कारण कारण कॉमन कार्प मछली भी हो सकती है। उनका कहना है कि कॉमन कार्प मछली मिट्टी को कुरेदकर भोजन की तलाश करती है। और इसके लिए यह पानी के भीतर से दीवारों को भी कुरेदने लगती हैं। मल्लीताल पंत पार्क क्षेत्र में दीवारों की मरम्मत का 75 फीसदी काम पूरा हो चुका है। अब इस बारे में नगरपालिका से भी चर्चा की जाएगी। विभाग इस समस्या के समाधान करने का हर संभव प्रयास कर रहा है।