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उत्तराखंड: 11 किमी दूर अस्पताल समय पर न पंहुच सकी गर्भवती, नहीं बच सका नवजात

सोराग गांव की महिला को समय पर इलाज न मिलने के कारण उसका बच्चा मर गया। ग्रमीणों ने 11 किमी पैदल चलकर महिला को मुख्य मार्ग तक पहुँचाया। वहां से 108 में महिला को अस्पताल पहुँचाया गया।
May 23 2024 5:05PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

सरकार स्वास्थ्य शिक्षा तथा सड़क बनाने के लाखों दावे करती है। लेकिन पहाड़ों में सड़कों और स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत आज भी ज्यों की त्यों है। जिसका नतीजा यह हुआ कि बागेश्वर जिले के सोराग गांव में समय पर इलाज न मिलने के कारण एक महिला के गर्भ में पल रहे एक शिशु की मौत हो गई। सोराग गांव के लोग 11 किमी पैदल चलकर महिला को अस्पताल ले गए। लेकिन तब तक बच्चा मर चुका था, हांलाकि डॉक्टरों ने गर्भवती महिला को बचाने में सफल रहे।

Infant died as Pregnant reached 11 km far Hospital Late

बागेश्वर जिले का दूरस्थ सोराग गांव के प्रवीण सिंह की पत्नी 25 वर्षीय रेखा देवी को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। रेखा देवी के परिजनों ने ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी। ग्रामीण गर्भवती महिला को उठाकर पैदल चलते हुए पिंडर नदी में बने कच्चे पुल से होकर मुख्य मार्ग तक ले गए।

बच्चा गर्भ में ही मर गया

मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएचसी कपकोट के डॉक्टरों ने गर्भाश्य को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जब महिला को जिला अस्पताल पहुँचाया गया तो वहां डॉक्टरों ने बताया कि शिशु की गर्भ में मौत हो चुकी है। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत शिशु को गर्भ से बाहर निकाला और हालाँकि महिला को बचाने में डॉक्टर सफल रहे। महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रीमा उपाध्याय ने बताया कि बच्चा माँ के पेट से ही मरा हुआ था। माँ अब ठीक है। उनकी हालत में सुधार आ रहा है।

4 वर्षों से नहीं बना गांव जाने का पुल

ग्रामीणों ने कहा कि चार वर्षों से मुख्य मार्ग से गांव जाने वाले रस्ते पर पिंडर नदी में पुल नहीं बन सका है। गांव किए नजदीक कोई अस्पताल भी नहीं है। जिस कारण गांव के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाती हैं। बरसात का समय शुरू हो गया है। पहाड़ी गांवों की दिक्कतें बरसात में और अधिक बढ़ जाती हैं।
सोराग गांव के केशर सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने मिलकर पिंडर नदी पर वाहनों की आवाजाही के लिए अस्थायी लकड़ी का पुल का निर्माण किया था। लेकिन पानी के तेज बहाव से नदी में बह गया। जिस कारण गांव तक वाहनों का चलना फिर से बंद हो गया है। जिसके कारण ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को 11 किमी पैदल चलकर मुख्य मार्ग तक पहुंचे। 11 किलोमीतर पैदल चलने के बाद मुख्य मार्ग तक 108 बुलाकर महिला को सीएचसी कपकोट में  भर्ती किया गया।


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