Uttarakhand: पहाड़ में मछली पालन बन रहा रोजगार का जरिया, घर पर ही कमा रहे लाखों
प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना स्वरोजगार में युवाओं के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है। मछली पालन व्यवसाय को बढ़ाने के लिए सरकार 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी देती है।
Jun 6 2024 5:21PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
जिले के 11 युवाओं ने इस योजना का अच्छा लाभ उठाया है और आज ये घर पर रहकर ही लाखों की कमाई कर रहे हैं। यदि आप भी स्वरोजगार की दिशा में कुछ करना चाहते हो तो यह आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है सरकार की मत्स्य संपदा योजना में नामांकन करके इसका लाभ उठाइए।
Self Employment From Trout Fishing in Chamoli
प्रदेश में बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के लिए जनपद चमोली में मत्स्य पालन व्यवसाय रोजगार का एक महत्वपूर्ण साधन बन रहा है। इसके माध्यम से न केवल स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है। चमोली के नदियों में मिलने वाली ट्राउट फिश का स्वाद देशभर के मछली के शौकीनों की पहली पसंद बन चुका है। जनपद चमोली के देवाल ब्लॉक के ल्वांणी गांव में साल 2018 में गांव के 11 युवकों ने मोहन सिंह बिष्ट के सहयोग से देवभूमि मत्स्यजीवी सहकारिता समिति का गठन किया। समिति के माध्यम से उन्होंने वर्ष 2019-20 में 10 ट्राउट रेस वेज के साथ मत्स्य पालन शुरू किया। इस प्रयास से समिति अब प्रतिवर्ष 4 से 5 लाख रुपये की आय कर रही है।
इस मॉडल से प्रेरित अन्य युवाओं ने भी इसे अपनाया
स्वरोजगार के इस मॉडल से प्रेरित होकर वर्तमान ने ल्वांणी गांव के अन्य ग्रामीणों ने भी 20 ट्राउट रेस वेज स्थापित किए हैं और आस-पास के गांव में भी ग्रामीणों ने 40 ट्राउट रेस वेज स्थापित कर लिए हैं। बेहतर उत्पादन को देखते हुए विपणन के लिए जिला प्रशासन ने समिति को पैकिंग प्लांट की सुविधा उपलब्ध कराई है। जिससे ये लोग दूर दूर तक मछलियों की पैकेजिंग करके भेजते हैं। मुख्य विकास अधिकारी, चमोली अभिनव शाह ने बताया कि चमोली में युवाओं को मत्स्य पालन के माध्यम से स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। वहीं मछली बीज के लिये ग्रामीणों की बाजारों पर निर्भरता कम करने के लिये मछली बीज हैचरी भी विकसित की जा रही हैं।