image: Cyber   Thugs Cheated Scientist of Rs 56 Lakh in Dehradun

Uttarakhand: साइबर ठगों ने IIRS के वैज्ञानिक को 144 घंटे तक ऑनलाइन आरेस्ट किया, 56 लाख रुपये लूटे

साइबर अपराधियों ने आजकल लोगों को लूटने का एक नया तरीका ढूंढ निकाला है, जिससे हर कोई उनके जाल में आसानी से फंस जा रहे हैं, इस जालसाजी के नए तरीके में फंसने से पहले ही आप भी सावधान हो जाइए और इस खबर को पूरा पढ़िए।
Jun 25 2024 3:24PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

राजधानी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिक को 144 घंटे तक ऑनलाइन अरेस्ट करके साइबर ठगों ने 56 लाख रुपये उड़ा दिए। इस ठगी के नए तरीके को देखकर पुलिस भी हैरान हो गई, पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।

Cyber ​​Thugs Cheated Scientist of Rs 56 Lakh in Dehradun

पीड़ित सुरेंद्र कुमार शर्मा निवासी हाथीबड़कला जो कि आईआईआरएस में बतौर वैज्ञानिक तैनात हैं और मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। सोमवार को उन्होंने पुलिस में तहरीर देकर बताया कि 5 जून को सुबह साढ़े आठ बजे उन्हें एक अनजान नंबर से कॉल आई थी, कॉल करने वाले ने खुद को किसी कोरियर कंपनी का कर्मचारी बताया और कहा कि सुरेंद्र नाम का एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है जो मुंबई हवाई अड्डे पर पकड़ा गया है और इसे कस्टम ने नशीले पदार्थ होने के चलते रोका है। लेकिन सुरेंद्र ने बताया की यह मेरा नहीं है वो लोग नहीं माने और एक नंबर देकर कहा कि आप मुंबई क्राइम ब्रांच में बात करके उन्हें इसकी जानकारी दे दें। जब पीड़ित ने दिए गए नंबर पर संपर्क किया तो विक्रम सिंह नाम के व्यक्ति ने उन्हें मुंबई क्राइम ब्रांच कार्यालय आने को कहा लेकिन सुरेंद्र ने इनकार कर दिया।

वीडियो कॉल पर मुंबई क्राइम ब्रांच का नज़ारा

विक्रम सिंह ने सुरेंद्र को वीडियो कॉल पर जोड़ा और उन्होंने देखा कि पूरा नजारा मुंबई क्राइम ब्रांच शाखा के जैसा है और सभी लोग वर्दी पहने नज़र आ रहे हैं। फिर विक्रम ने पीड़ित से आधार कार्ड की फोटो मांगी। कहा गया कि उनका आधार कार्ड अपराधी नवाब मलिक के नेटवर्क से जुड़ा है, जो ईडी की गिरफ्त में है। पीड़ित ने किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार किया। इसके बाद ठगों ने ऑनलाइन वेरिफिकेशन के नाम पर बैंक खातों और सम्पति के बारे में पूछा। इसकी जांच के बहाने मिलिंद को डीसीपी बताकर पीड़ित से 56 लाख रुपये अपने खातों में जमा करवाए गए। इस घटनाक्रम के दौरान ठगों ने पीड़ित को गिरफ्तारी का पत्र भेजकर 144 घंटे तक ऑनलाइन गिरफ्तार दिखाया।

वीडियो कॉलिंग पर निगरानी करते रहे ठग

इस दौरान सुरेंद्र को केवल अपने कार्यालय जाने की अनुमति दी गई थी। आरोपियों ने युवा वैज्ञानिक को यह कहकर डराया कि आरबीआई के जरिए सुरेंद्र के खातों का सत्यापन होना है। विक्रम सिंह नाम का व्यक्ति पांच जून को पूरी रात वीडियो कॉलिंग पर सुरेंद्र की निगरानी करता रहा। पीड़ित ने पेंसे भरने के लिए ऑनलाइन लोन लिए और अपने शेयर भी बेच दिए। प्रदेश में इस तरह की ठगी का यह दूसरा मामला है, इससे पहले ऋषिकेश एम्स के डॉक्टर को भी इसी तरह के जाल में फंसाकर 10 लाख रुपए लूटे गए थे। यदि आपको भी एक इस तरह का कोई डराने या धमकाने का कॉल आता है तो इसकी जानकारी नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 दर्ज कराएं।


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