उत्तराखंड का परिवार बांग्लादेश में फंसा, हिन्दुओं के साथ हो रही भयानक दरिंदगी
एक उत्तराखंड का परिवार भी भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में हो रही हिंसा का शिकार हो गया है, वहां स्थिति बेहद ही भयावह है। हिन्दुओं पर अभूतपूर्व जुल्म हो रहे हैं।
Aug 8 2024 5:15PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
रुद्रपुर में रह रहे बंगाली समुदाय के लोगों को बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के साथ हुई हिंसा का गहरा दुख है। प्रदेश के कई लोगों के रिश्तेदार बांग्लादेश में रहते हैं अब उनकी सुरक्षा की चिंता सबको सता रही है।
Uttarakhand Family Trapped in Bangladesh Violence
रुद्रपुर के आदर्श इंदिरा बंगाली कॉलोनी के संतोष सरकार ने बताया कि बांग्लादेश में उनके पैतृक निवास से केवल आठ किलोमीटर की दूरी पर दंगाई पहुँच चुके हैं। दंगाईयों ने बाजार में प्रवेश कर उनके भतीजे की दो हार्डवेयर दुकानों को जला दिया है। उनके परिवार के सभी सदस्य भयभीत हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वहाँ पर फिर से युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है और लोग वहाँ से भाग रहे हैं। मूलतः बांग्लादेश के सतखोरा जिले के कालीगांस थाना अंतर्गत ग्राम विष्णुपुर के निवासी संतोष सरकार वासुदेव सरकार के पुत्र हैं। 14 वर्ष की आयु में वे अपने चार भाइयों के साथ उत्तराखंड आ गए जबकि उनके दो भाई कोलकाता में बस गए।
बांग्लादेश के पैतृक गाँव में रह रहा है परिवार
संतोष सरकार के बड़े भाई अनिल सरकार बांग्लादेश में अपने पैतृक गांव में ही रह गए। उनकी मृत्यु के बाद उनके भतीजे वहां अपने परिवार के साथ रहते हैं। इन दिनों बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंसा अपने चरम पर है और हिंदुओं को जिंदा जलाया जा रहा है। बुधवार को जब मीडिया टीम ने संतोष सरकार से बात की तो उनकी आंखें नम हो गईं। उन्होंने बताया कि उनका भतीजा अभी भी पैतृक आवास में रह रहा है। उनके बड़े भाई अनिल की कालीगोंस बाजार में हार्डवेयर की दुकान थी जिसे उनके भतीजों ने आगे बढ़ाया है। बड़ा भतीजा पूरे व्यापार की देखरेख करता है जबकि दो अन्य भतीजे खेतीबाड़ी का काम संभाल रहे हैं।
ढाका में थी दुकान जिसे अब जला दिया गया है
संतोष सरकार ने बताया कि उनके घर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर स्थित ढाका में दंगे सबसे ज्यादा उग्र हैं और वहीं पर उनके भतीजे की हार्डवेयर की दुकान थी। दंगाइयों ने उसकी दुकान जला दी जिसके बाद उनका भतीजा गांव लौट आया लेकिन गांव में भी स्थिति सुरक्षित नहीं है। वे लोग किसी तरह घरों में दुबके हुए हैं। संतोष ने याद किया कि दो साल पहले जब वे अपने पैतृक गांव गए थे तब सब सामान्य था। अब जब भी रात में उनकी आंख खुलती है तो चिंता में पूरी रात गुजर जाती है कि वहां परिवार के लोग कैसे होंगे? यहां से फोन करने पर बात नहीं हो पा रही और वहां से सिर्फ एक फोन आया था जिसमें बताया गया कि घर से आठ किलोमीटर दूर तक गोलियां चल रही हैं दुकानें जलाई जा रही हैं और हिंदुओं को जिंदा जलाने की घटनाओं का पता चला है। उन्होंने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है।