image: CM Dhami promise wasted Woman gave birth in the forest

Uttarakhand: CM धामी की घोषणा के बाद भी नहीं बनी सड़क, महिला ने जंगल में दिया बच्चे को जन्म

सड़क की सुविधा नहीं होने से नरेंद्रनगर ब्लॉक के नौडू गांव की महिला का आधे रास्ते में जंगल में ही प्रसव हो गया। सड़क तक पहुंचने की कोशिश में जंगल में ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया।
Nov 8 2024 4:03PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

नौडू गांव निवासी नीलम भंडारी को प्रसव पीड़ा हुई तो गांव की महिलाएं उसे 12 किमी दूर सड़क मार्ग तक पहुंचाने के लिए पल्ली में लेटाकर ले जा रहीं थीं। सड़क से करीब पांच किमी पहले लंबधार के पास जंगल में ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया। राहत की बात ये है कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

CM Dhami's promise wasted: Woman gave birth in the forest

जंगल में बच्चे के जन्म से नाराज ग्रामीणों ने कहा कि सड़क की सुविधा नहीं होने से गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है। गर्भवतियों या बीमार लोगों को सड़क तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत झेलनी पड़ती है। बड़ी बात ये कि वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं गांव में सड़क निर्माण की घोषणा कर चुके हैं।

इस बार एम्बुलेंस आई, पर सड़क नहीं थी

ग्राम प्रधान नौडूकाटल की सीमा देवी ने बताया कि बृहस्पतिवार को नौडू गांव निवासी नीलम भंडारी (28) पत्नी गजेंद्र भंडारी को सुबह करीब आठ बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने 108 को सूचित किया, लेकिन सड़क सुविधा नहीं होने से एंबुलेंस काटल चौक पर ही खड़ी रही। इसके बाद गांव की महिलाएं गर्भवती को पल्ली में लेटाकर सड़क तक ले गए आधे रास्ते जंगल में ही महिला का प्रसव हो गया।

प्रशासन की उदासीनता का दंश झेल रहे ग्रामीण

नौडू गांव में करीब 45 परिवार रहते हैं। काटल चौक तक सड़क सुविधा है। यहां से नौडू गांव की दूरी करीब 12 किमी है। वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांव में सड़क निर्माण की घोषणा थी। वर्ष 2023 में लोक निर्माण विभाग नरेंद्रनगर की ओर से प्रथम चरण में इसका सर्वे भी शुरू हो गया था। लेकिन, सड़क का निर्माण आज तक सर्वे से आगे नहीं बढ़ा है। स्थानीय ग्रामीण सुरेंद्र भंडारी, ओमकार सिंह, सूरत सिंह,और प्रेम सिंह ने बताया कि गांव में यदि सड़क सुविधा होती तो गर्भवतियों का प्रसव स्वास्थ्य केंद्र में होता। इस तरह आधे रास्ते मेंं प्रसव नहीं होता। कहा कि शासन-प्रशासन की उदासीनता का दंश स्थानीय ग्रामीणों को झेलना पड़ रहा है।


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