उत्तराखंड: भू-वैज्ञानिकों की रिपोर्ट ने चेताया, बचानी हैं नदियां तो बनाने होंगे ये सख्त नियम
देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया है कि यमुना और गंगा जैसी नदियों को स्वच्छ बनाना है तो लॉकडाउन जैसी सख्ती बरतनी होगी।
Nov 23 2024 9:14AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, गंगा-यमुना जैसी अन्य नदियां पिछले कुछ दशकों में अत्यधिक प्रदूषित हुई हैं। इसके परिणामस्वरूप जलीय जीवों का जीवन और मानव स्वास्थ्य को खतरा उत्तपन्न हो रहा है। वाडिया संस्थान के विशेषज्ञों के अनुसार यदि हमें अपनी नदिया स्वच्छ बनानी है तो हमें इसके लिए लॉकडाउन जैसी सख्ती वाले नियम बनाने होंगे।
Geologists warn to make strict rules to save rivers
वाडिया संस्थान द्वारा लॉकडाउन के दौरान गंगा और यमुना नदियों में भौतिक मापदंडों, प्रमुख और ट्रेस तत्वों, और स्थिर आइसोटोप (H2और H2O) प्रणाली के मूल डेटा पर रिसर्च की गई। इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में आठ सप्ताह के लॉकडाउन के दौरान ऊपरी गंगा और यमुना नदी घाटियों सहित अन्य 34 स्थानों से जल के नमूने एकत्र किए। इस रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के दौरान पानी में घुलित ऑक्सीजन (DO) में बड़ी मात्रा में वृद्धि हुई। लॉकडाउन के दौरान गंगा के ऊपरी बेसिन की जल गुणवत्ता में 93 प्रतिशत तक सुधार देखने को मिला।
विश्लेषण में सामने आई सच्चाई
वैज्ञानिक डॉ. समीर तिवारी ने बताया कि उत्तराखंड के अपर गंगा रिवर सिस्टम (UGRS) और अपर यमुना रिवर सिस्टम (UYRS) पर कोविड लॉकडाउन के दौरान एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। ये आंकड़े मई और जून 2020 के हैं, जब लॉकडाउन लागू था। लॉक डाउन के इन दो महीनों में उत्तराखंड की नदियों के पानी की गुणवत्ता में सुधार देखा गया। लॉक डाउन के दौरान सभी औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियों के ठप होने के कारण उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट और जनता द्वारा की जाने वाली गंदगी लगभग समाप्त हो गई थी। इस कारण से उस समय गंगा और यमुना सहित राज्य की अन्य नदियों का पानी को बिना किसी उपचार के पीने योग्य पाया गया। उल्लेखनीय है कि नदियों में फैक्ट्रियों और नालों से गंदे पानी के प्रवाह के कारण जल प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।