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उत्तराखंड में बेरोजगारी की ऐसी मार, जेल से बाहर आने को तैयार नहीं हो रहे तस्कर-लुटेरे

तस्करी, लूटपाट और चोरी के मामलों का निस्तारण लोक अदालत में सात से आठ महीने के भीतर हो जाता है। महीने में ऐसे 15 से 20 कैदियों को जमानत मिलती है, लेकिन ये लोग अफसरों से जेल में ही रहने की गुहार लगा रहे हैं।
Mar 16 2025 11:46AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

किसी भी आरोपी का जेल में जाने के बाद सबसे पहले प्रयास होता है कि वह जल्दी से जल्दी जमानत प्राप्त कर रिहा हो सके। कुछ आरोपी तो जेल से भागने का प्रयास करते हैं, लेकिन उत्तराखंड के हल्द्वानी जेल में स्थिति इसके विपरीत है। यहां कई कैदी हैं जो जमानत लेने से इनकार कर रहे हैं।

Prisoners are refusing bail in Uttarakhand

जनपद नैनीताल के हल्द्वानी उपकारागार में हत्या, लूट, चोरी, डकैती, दुष्कर्म समेत तमाम आरोपों में करीब 1100 से अधिक आरोपी कैद हैं। ये सभी कैदी उधम सिंह नगर और नैनीताल जनपदों से हैं। इनमें से अधिकतर कैदी जो नशे की तस्करी, लूटपाट और चोरी के मामलों में सजा काट रहे हैं, उनके मामलों का निस्तारण लोक अदालत में सात से आठ महीने के भीतर हो जाता है। लेकिन कई नशा तस्कर और लूटपाट के अपराधी ऐसे भी है जो कि जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर नहीं जाना चाह रहे हैं। महीने में ऐसे 15 से 20 कैदियों को जमानत मिलती है, लेकिन जमानत मिलने के बाद ये बंदी अफसरों से जेल में ही रहने की गुहार लगा रहे हैं।

जेल में मिल पाता है पर्याप्त भोजन और रोजगार

अधिकारियों के कारण पूछने पर कैदी बताते हैं उन्हें जेल में समय से पर्याप्त पौष्टिक भोजन मिलता है, साथ ही जेल के अंदर मजदूरी करके वे पैसे भी कमा लेते हैं। लेकिन जेल से रिहा होने के बाद उनको काम नहीं मिल पाता है और वे बेरोजगार हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, जेल प्रशासन कैदियों के स्वास्थ्य और पुनर्वास पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है। बंदियों को जेल में योग, खेल और शैक्षणिक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर दिया जाता है, और उनकी रुचियों के अनुसार कार्य सौंपे जाते हैं। इसके साथ ही, उद्योग विभाग द्वारा उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है, ताकि वे अपने स्वास्थ्य और कौशल में सुधार कर सकें।
इस कारण कई कैदी जेल से बाहर नहीं जाना चाहते हैं, इनमें ज्यादातर वे कैदी शामिल हैं जो नशा तस्करी और लूटपाट जैसे आरोपों के चलते जेल में कैद हैं। लेकिन कानूनी नियमों के अनुसार जमानत मिलने के बाद जगह खाली करने लिए कैदियों को जेल बाहर भेजना आवश्यक होता है। कैदियों की ऐसी स्थिति को देखकर स्पष्ट होता है कई ऐसे लोग हैं जो रोजगार ना मिलने के कारण ऐसे मामलों में संलिप्त होते हैं।


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