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Uttarakhand: 250Km का वायरलेस कवरेज, अपना इंट्रानेट बनाने वाला देश का पहला जिला बना रुद्रप्रयाग

डीएम डॉ. सौरभ गहरवार ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के काफी प्रयास किए हैं। उनके प्रयासों के बदौलत आज जिले ने डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क नाम का अपना इंट्रानेट स्थापित किया है।
Mar 24 2025 10:46AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

उत्तराखंड में स्थित रुद्रप्रयाग जिला देश का पहला ऐसा जनपद बना है, जिसने स्वयं का वायरलेस सिस्टम विकसित किया है। जिले के 250 किमी क्षेत्र को वायरलेस सुविधा से जोड़ा गया है।

Rudraprayag became first district in India to develop intranet

रुद्रप्रयाग के डीएम डॉ. सौरभ गहरवार ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के काफी प्रयास किए हैं। उनके प्रयासों के बदौलत आज जिले ने डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क नाम का अपना इंट्रानेट स्थापित किया है। यह इंट्रानेट जिले के 250 किमी क्षेत्र को कवर कर रहा है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना या या कोई भी आवश्यक सूचना तुरंत प्रशासन को मिल सकेगी। इसके अलावा, इस नेटवर्क के माध्यम के 36 दूरस्थ स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हो पाएंगी। साथ ही केदारनाथ यात्रा 2025 में भी इस नेटवर्क का पूरा लाभ मिलेगा। यह नेटवर्क जनसंख्या वाले क्षेत्रों के साथ-साथ केदारनाथ धाम से सोनप्रयाग और सीतापुर को भी जोड़ता है। साथ ही केदारघाटी के 10 हेलिपैड भी इस नेटवर्क से जोड़े गए हैं।

हवाई नेटवर्क को नहीं पहुंचेगा नुकसान

प्रशासन ने जिला योजना और खनन न्यास निधि समेत अन्य स्रोतों से इस नेटवर्क की स्थापना की है। नव विकसित वायरलेस नेटवर्क का कंट्रोल रूम जिला आपदा नियंत्रण कक्ष में स्थापित किया गया है। इस नेटवर्क को सुदृढ़ करने के लिए टॉवर भी लगाए गए हैं। आपदा और अन्य परिस्थितियों में जिले के 250 किमी के क्षेत्र में चल रहे हवाई नेटवर्क को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचेगा। इसके अलावा, वायरलेस नेटवर्क में फ्रीक्वेंसी-हॉपिंग स्प्रेड स्पेक्ट्रम से संबंधित कोई भी समस्या उत्पन्न नहीं होगी।

केदारनाथ यात्रा की तैयारियों पर निगरानी

डीएम डा. सौरभ गहरवार ने जानकारी देते हुए बताया कि इंट्रानेट एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसका उपयोग सूचना के आदान-प्रदान और नेटवर्क सुरक्षा के लिए किया जाता है। इस इंट्रानेट की स्थापना केदारनाथ यात्रा की तैयारियों, व्यवस्थाओं और यात्रियों की निगरानी के लिए की गई है। साथ ही इसके माध्यम से आपदा स्थलों की निगरानी, घोड़ों और खच्चरों के पंजीकरण की निगरानी, हाईवे, संपर्क मार्ग और पार्किंग की भी चौबीस घंटे निगरानी की जा सकेगी।


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