उत्तराखंड: स्वास्थ्य विभाग के गजब हाल, एक डॉक्टर लाचार.. दूसरी जबरन ट्रांसफर की शिकार
थलीसैंण सीएचसी में ईएनटी सर्जन का पद स्वीकृत ही नहीं है, इसके बावजूद डॉ. चौहान वहीं कार्यरत हैं । डॉ चौहान अब जिला अस्पताल पौड़ी में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं...
Apr 22 2025 6:27PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। दो अलग-अलग डॉक्टरों के स्थानांतरण मामलों ने यह दिखा दिया है कि एक तरफ डॉक्टरों की मांगों को अनदेखा किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ मनमाने तरीके से उन्हें ट्रांसफर किया जाता है।
doctors victim of forced transfer in Almora
एक ओर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण में तैनात ईएनटी सर्जन डॉ. अश्वनी चौहान पिछले दो वर्षों से जनरल सर्जन के पद पर कार्य कर रहे हैं जो उनके विशेषज्ञता क्षेत्र से मेल ही नहीं खाता, जबकि वह एम.एस. (ईएनटी) कर चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि थलीसैंण सीएचसी में ईएनटी सर्जन का पद स्वीकृत ही नहीं है, इसके बावजूद डॉ. चौहान वहीं कार्यरत हैं । डॉ चौहान अब जिला अस्पताल पौड़ी में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं, जहाँ ईएनटी सर्जन की ज़रूरत है, लेकिन उन्हें अब तक वहां नियुक्त नहीं किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग का दोहरा रवैया
दूसरी ओर, अल्मोड़ा जिला अस्पताल की चर्चित और लोकप्रिय ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. सलोनी जोशी को विभाग द्वारा जबरन पौड़ी ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि अल्मोड़ा में उनकी सेवाओं की सख्त आवश्यकता है और जनता भी उनसे संतुष्ट थी। स्वास्थ्य विभाग का यह दोहरा रवैया उन दावों की पोल खोलता है, जिसमें दावा किया जाता है कि सभी स्थानांतरण पारदर्शिता और जनहित में किए जा रहे हैं। एक डॉक्टर अपने बीमार माता-पिता की देखरेख के लिए तबादले की गुहार लगा रहा है, और उसे अनसुना किया जा रहा है, जबकि दूसरी डॉक्टर बिना किसी स्पष्ट कारण के जबरन भेज दी जाती है। इन दोनों मामलों ने यह साफ कर दिया है कि विभागीय निर्णयों में व्यावहारिकता, मानवीयता और सार्वजनिक हित की अनदेखी हो रही है।