Uttarakhand: फर्जी हस्ताक्षर से नगदी निकालने के लगे थे आरोप, अब कोर्ट ने पोस्टमास्टर को किया दोषमुक्त
अदालत ने अधिवक्ताओं की दलीलों, गवाहों के बयानों और अभिलेखों में उपलब्ध साक्ष्यों की समीक्षा के बाद तत्कालीन पोस्टमास्टर को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
May 9 2025 8:28PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 2009-10 में नकली हस्ताक्षर के जरिए धन निकालने के मामले में उस समय के पोस्टमाटर को बरी कर दिया।
Postmaster acquitted in fake signature case
अभियोजन के अनुसार काशीपुर के निवासी अमित चतुर्वेदी ने एक मुकदमा दायर किया है जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी माता सविता चतुर्वेदी ने मोहल्ला किला में स्थित छोटे डाकखाने में एक बचत खाता खोला था। उनकी माता का निधन 23 दिसंबर 2009 को हुआ। माता की मृत्यु के बाद, जब अमित ने अपनी माता के खाते का विवरण पोस्ट ऑफिस से मांगा, तो उन्हें पता चला कि 4 जनवरी 2010 को 12 हजार रुपए डाकखाने के पोस्टमास्टर और उनके सहयोगी कर्मचारियों ने माता के हस्ताक्षर बनाकर निकाल लिए थे। विवेचना के बाद अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की गई।
सभी आरोपों से बरी हुए पोस्टमास्टर
अदालत ने वादी की आपत्ति के जवाब में पुलिस द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया। तत्कालीन पोस्टमास्टर नैना अग्रवाल के खिलाफ धारा 409 के तहत संज्ञान लेते हुए उन्हें अदालत में पेश होने का आदेश दिया। आरोपी की ओर से अधिवक्ता विष्णु नारायण भट्टनागर ने पैरवी की। अधिवक्ताओं की दलीलों, गवाहों की गवाही और अभिलेखों में उपलब्ध साक्ष्यों की जांच के बाद अदालत ने तत्कालीन पोस्टमास्टर नैना अग्रवाल को सभी आरोपों से बरी कर दिया।