Video: पहाड़ के महान कवि को नमन, जन्मदिन पर गिरदा का ये बेमिसाल गीत देखिए
पहाड़ में कुछ लोग ऐसे हुए हैं, जिन्होंने गीतों के जरिए पहाड़ के दर्द, खुशी, वेदना, संस्कृति और परंपरा को संजोया है। महान कवि गिरदा का ये गीत सुनिए
Sep 10 2018 7:04PM, Writer:कपिल
उत्तराखंड में रचनाओं का महानायक। पहाड़, नदियां, झरने, संस्कृति और परंपरा को खुद में समेटे एक शख्स जिसने 10 सिंतबर को उत्तराखंड की पावन धरती पर जन्म लिया था। वो शख्स थे गिरीश चंद्र तिवारी। आज जो वीडिय़ो हम आपको दिखाने जा रहे हैं, वो वीडियो साबित करता है कि गिर्दा जैसे लोग कभी मरते नहीं। ये वीडियो साबित करता है कि कि गिर्दा जैसे लोग एक व्यक्तित्व होते हैं, एक विचार होते हैं और विचार कभी मरा नहीं करते, दिल और दिमाग में वो हमेशा जिन्दा रहते हैं। अगर इस बार इस वीडियो को अनमोल प्रोडक्शन के सबसे बेहतरीन गीतों में शुमार किया जाए तो गलत नहीं होगा। बरसात के दिनों में पहाड़ की खूबसूरती और उस कठिन जीवन के बीच अपनी जिंदगी को जीती एक मां की कहानी है ‘ओ दिगौ लाली’। ये वीडियो साबित करता है कि गिर्दा ने जनपक्षधरता और जन सरोकारों की जो लौ जलाई है, वो एक अखण्ड ज्योति बन कर हमेशा जलती रहेगी।
10 सितंबर, 1945 को अल्मोड़ा के ज्योली हवालबाग गांव में गिरीश चंद्र तिवारी (गिर्दा) का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम हंसादत्त तिवारी और मां का नाम जीवंती तिवाडी था। गिर्दा जिंदगी भर संघर्षों से जुड़े रहे, आंदोलनों से जुड़े रहे और अपनी लेखनी को उन्होंने अपनी ताकत बनाया। अपनी कविताओं में पहाड़ की पीड़ा को सशक्त अभिव्यक्ति दी। घर का खर्च चलाने के लिए उन्होंने क्लर्क से लेकर वर्कचार्जी तक का काम किया। इसके बाद संस्कृति और सृजन के संयोग ने उनके दिल में कुछ अलग करने की चाहत भर दी। उनकी ये इच्छा तब पूरी हुई जब उन्हें हिमालय और पहाड़ की लोक संस्कृति के लिए कुछ करने का मौका मिला। ‘अंधेरी नगरी’, ‘अन्धायुग’, ‘थैंक्यू मिस्टर ग्लॉड’ और ‘भारत दुर्दशा’ जैसी रचनाएँ आज भी इतिहास के पन्नो से पुकारकर इस महान कवि की कल्पनाओं की बानगी पेश करती है।
22 अगस्त 2010 सुबह हल्द्वानी में इस महान कवि का देहांत हो गया। 10 सितंबर का दिन उत्तराखंड के लिए कई मायनों में अहम रहा है। इसी दिन को याद करते हुए अनमोल प्रोडक्शन ने उनकी एक बेहतरीन रचना को लोगों के बीच पेश किया है। गर्व होता है ऐसे युवाओं पर, जो पहाड़ के महान कवि की रचनाओं को नई पीढ़ी के बीच फिर से जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। खासतौर पर त्विशा भट्ट और उनकी पूरी टूम का धन्यवाद