देहरादून की माया को सलाम..पति की मौत हुई तो बच्चों की खातिर बनी बस कंडक्टर
देहरादून की माया जिस हौसले के साथ जिंदगी की मुश्किल परिस्थियों का सामना कर रही हैं, वो वास्तव में उन्हें सम्मान का हकदार बनाता है।
Oct 9 2018 1:16PM, Writer:आदिशा
जिंदगी में जीत उसी की हुई, जो मुश्किल हालातों से डटकर लड़ा। इतिहास गवाह है कि अटूट हौसलों वालों की हमेशा जीत ही हुई। खासतौर पर ऐसी कहानियां अगर बेटियों की हो, तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। ऐसी ही एक कहानी है देहरादून की माया की। माया के पति कभी परिवहन निगम में कंडक्टर थे। पति चाहते थे कि माया आराम से घर का काम करे और तीन बच्चों की देखभाल करे। लेकिन वक्त का चक्र कुछ ऐसे चला कि माया के पति पंकज शर्मा का निधन हो गया। एक बीमारी के चलते उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी। पति के जाने के बाद माया शर्मा बुरी तरह से टूट चुकी थीं। सास-ससुर का देहांत पहले ही हो गया था और कंधे पर तीन बच्चों की जिम्मेदारी आ गई थी। आखिरकार माया ने जिंदगी का बड़ा फैसला लिया और पति जगह खुद बस में कंडक्टर बन गई।
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बस कंडक्टर...आमतौर पर आपने बसों में किसी पुरुष को ही इस सीट पर बैठे देखा होगा लेकिन माया ने उस मानसिकता को ही बदल दिया है। आज अगर आप परिवहन निगम की बसों में मसूरी, टिहरी और पौड़ी रूट पर जा रहे हैं, तो आपकी मुलाकात माया से हो सकती है। माया बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें इस काम को लेकर परेशानी हुई थी लेकिन बच्चों के लिए उसे ये काम करना जरूरी था। नम्र स्वभाव की माया बेहद हंसमुख हैं और बस में मौजूद महिला सवारियां भी उन्हें देखकर खुद को महफूज महसूस करती हैं। अब बस की सवारियां और पहाड़ी सफर माया की जिंदगी बन गया है। माया का अब एक ही सपना है कि उनके बच्चे पढ़ें लिखें और अच्छी नौकरी पर लग जाएं। अपनी मां के इस अटूट जज्बे को देखकर तीनों बच्चे भी खुद पर गर्व महसूस करते हैं।
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तीनों बच्चों को अपनी मां पर गुरुर है और उनके लिए उनकी मां ही उनकी दुनिया है। पिता के चले जाने के बाद भी मां ने अपने बच्चों को कोई कमी महसूस नहीं होने दी। अपने काम से माया साबित कर रही हैं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। कोई भी काम मुश्किल नहीं होता बल्कि आपको मजबूत हौसलों की जरूरत होती है। माया भी अपने हौसले के दम पर महिलाओं के लिए असंभव से लगने वाले काम को संभव कर दिखा रही हैं। माया बताती हैं कि महिलाएं वो सब कुछ कर सकती हैं, जो अब तक पुरुषों के लिए कहे जाते थे। छोटे से छोटे काम हो या बड़े बड़े से बड़ा काम...हर जगह महिलाएं पुरुषों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। पति की मौत के बाद भी माया ने हार नहीं मानी और कंडक्टर की नौकरी कर वो अपने बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही हैं। सलाम ऐसी महिलाओं को