चार धाम रेल नेटवर्क: पहाड़ी शैली में बनेंगे स्टेशन, श्रीनगर में मां राजराजेश्वरी रेलवे स्टेशन
उत्तराखंड के चार धाम रेलवे स्टेशन से जुड़ी एक शानदार खबर सामने आ रही है। आइए इसकी कुछ और भी दिलचस्प बातें आपको बता देते हैं।
Oct 25 2018 1:37PM, Writer:कपिल
इस वक्त भारत सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन है। इस प्रोजक्ट से जुड़ी कुछ खास बातें हम आपको बताने जा रहे हैं। इस रूट पर बनने वाले सारे स्टेशन सिर्फ पहाड़ी शैली में तैयार किए जाएंगे। इसकी शुरुआत न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से होगी, जहां केदारनाथ जी के आकार का डिजायन तैयार होगा। यहां आने वाले यात्रियों को आभास होगा कि वो देवभूमि में आए हैं। इसके अलावा न्यू वीरभद्र, शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, मलेथा, श्रीनगर, धारी देवी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर, गौचर और कर्णप्रयाग तक 12 रेलवे स्टेशन पूरी तरह से पहाड़ी शेली से ही तैयार किए जाएंगे। कहीं स्टेशनों में गांवों की झलक होगी, तो कहीं उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों की झलक होगी। प्रदेश सरकार का ये अनुरोध रेल विकास निगम ने स्वीकार कर लिया है।
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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में श्रीनगर में बनने वाले रेलवे स्टेशन पर खास तौर पर सभी की नज़रें होंगी। बताया जा रहा है कि इस रेलवे स्टेशन का नाम श्रीनगर रेलवे स्टेशन नहीं होगा। दरअसल, ये रेलवे स्टेशन श्रीनगर से थोड़ा आगे चौरास के पास बनकर तैयार होगा। इसलिए इसका नाम मां राजराजेश्वरी के नाम पर रखने की योजना है। रेल विकास निगम इन सभी रेलवे स्टेशनों में उत्तराखंड की झलक दिखाना चाहता है। गर स्टेशन पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों, पर्यटन स्थलों और संस्कृति की झलक दिखाई जाएगी। हालांकि ये सभी काम काष्ठ यानी लकड़ी के ना होकर निर्माण कार्यो में इस्तेमाल की जाने वाली निर्माण सामग्री से ही होंगे। सरकार साफ कर चुकी है कि इस रेल लाइन का काम 2024 में पूरा कर लिया जाएगा और साल 2025 से इस रूट पर ट्रेन दौड़नी भी शुरू हो जाएगी।
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अगर इन स्टेशनों को पहाड़ी शैली में तैयार किया जाता है, तो हर किसी के लिए एक सुखद अहसास होगा। जो लोग अपने घरों की तरफ आ रहे होंगे या जो यात्री पहाड़ घूमने आ रहे हैं, उनके लिए भी एक खूबसरूत अहसास आंखों के सामने होगा। रोमांच के लिहाज स भी ये रेलवे ट्रैक सबसे अलग होगा। यहां 18 सुरंगें और 16 पुल बनने जा रहे हैं। देश की सबसे लंबी सुरंग भी इसी रूट पर तैयार हो रही है, जो कि 15 किलोमीटर लंबी होगी। इसके अलावा इस रूट पर सबसे छोटी सुरंग 220 मीटर की होगी। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग पहुंचने में सड़क मार्ग से 7 घंटे लग जाते हैं लेकिन इस मार्ग के बनने से ये दूरी सिर्फ 3 घंटे की रह जाएगी। देखना है कि किस तरह से उत्तराखंड का ये रेलवे ट्रैक देश और दुनिया के लिए इंजीनियरिंग की एक मिसाल पेश करता है।