Video: गजब का गढ़वाली गीत..पांडवाज़ और आत्मा प्रकाश बमोला की नई पेशकश..देखिए
अगर आप कुछ नया देखना चाहते हैं और शानदार शब्दों से सजा गीत सुनने के शौकीन हैं..तो ये नया गढ़वाली गीत आपके लिए है।
Nov 4 2018 9:43AM, Writer:कपिल
कल्पना को शब्दों का रूप देना और उस रूप का श्रृंगार बेहतरीन संगीत से करना..तब जाकर एक ऐसा गीत तैयार होता है, जो कानों को अच्छा लगे। जहां शब्द खत्म हो जाएं, तो कैसा गीत ? जहां कुछ नया ना लिखा जाए, तो कैसा गीत ? सिर्फ पुराने ढर्रे को पकड़कर आगे बढ़ने की कोशिश हो, तो संगीत के लिए खतरे की घंटी बजने लगती है। लेकिन कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जो पहाड़ में रहकर ही पहाड़ के गीतों और संगीत को एक नया आयाम दे रहे हैं। आत्मा प्रकाश बमोला के इस गीत में शब्दों की वो ही जादूगरी है। साथ में संगीत देने का काम किया है पांडवाज़ स्टूडियो के ईशान डोभाल ने।
नी रैंदा सदनि फूल डाल्यूं मां, नी रेंदू सदनि सौंण
सदनि ज्वानि नी रैंदी कैकी, सदनि कैन नी रौंण
ज्वानि धरीं की धरीं रै जांदी, ढली-गली ज्वानि खप्ये जांदि
शब्दों के खेल को आप कुछ इस तरह से समंझ सकते हैं।
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आत्मा प्रकाश बमोला की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। पांडवाज़ का संगीत हमेशा से ही कानों और दिल को अच्छा लगा है। कुछ नया सुनने वालों के लिए और कुछ अच्छे शब्दों को पसंद करने वालों के लिए ये गीत पेश है। प्रेम मोहन डोभाल जी ने इस वीडियो में कैलीग्राफी का काम किया है। कैलीग्राफी यानी देखने में सुन्दर शब्दों को लिखने की कला। वीडियो में मोशन ग्राफिक्स देने का काम रोनित ने और ड्रॉइंग का काम नरेन्द्र सिंह रावत ने किया है। इस दिवाली और भैया दूज के त्यौहार पर संगीत का ये तोहफा आने वाले वक्त के लिए भी कई उम्मीदें जगा रहा है। फिलहाल हेडफोन लगाकर ये गीत जरूर सुनिए।