देवभूमि की पूनम रावत..विदेश में रहकर भी संवारे पहाड़ के गांव, लोगों को मिला रोजगार
जर्मनी में रहने के बाद भी पूनम रावत ने पहले अपना गांव संवारा और अब तक वो 10 से ज्यादा गांवों के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ रही हैं।
Nov 4 2018 10:46AM, Writer:आदिशा
पहाड़ की ये बेटी जर्मनी में रह रही है लेकिन अपने गांव की मिट्टी को नहीं भूली। ये ही वजह है कि वो अपनी धरती के 10 गांवों की तस्वीर बदल रही है और लोगों को स्वरोजगार से जोड़ रही है।चमोली जिले के पोखरी विकासखंड के रौली ग्वाड़ गांव की मूल निवासी पूनम रावत पहाड़ के गावों की गरीबी को दूर करने के लिए यहां के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ रही हैं। गरीब परिवारों के घरों को पूनम होम स्टे से जोड़ रही हैं और अब तक 20 परिवारों को स्थायी रोजगार से जोड़ चुकी है। रौली ग्वाड़ गांव की ये बेटी जर्मनी के बिंगन शहर में रह रही हैं। पिता सेना में मेजर रहे तो शिक्षा देश के अलग अलग शहरों में हुई। पूनम ने इंटीरियर एंड एक्सटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स किया और साल 1998 में उन्हें नीदरलैंड की सन माइक्रो सिस्टम कंपनी में कंट्री रिप्रजेंटेटिव के पद पर पोस्टिंग मिली।
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इसके बाद साल 2003 में पूनम रावत की शादी जर्मनी में हुई। उनके पति डोएच बैंक में आइटी प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। पूनम जर्मनी में जरूर बसी लेकिन अपने गांव की मिट्टी से जुड़ाव हमेशा रहा। पूनम नियमित अंतराल पर अपने गांव आने लगीं। ऐसे परिवारों की मदद करने लगीं, जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। छुट्टियों के दौरान जब भी पूनम अपने गांव आई तो बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने लगीं। अपने पैसों से वो बच्चों के लिए अंग्रेजी की किताबें और अन्य पाठ्य सामग्री लाती थीं। अब पूनम जर्मनी के पर्यटकों को बेहतर टूर और गाइडेंस की सुविधा मुहैया कराती हैं और गांव के लोगों के पारंपरिक घरों में ठहराती हैं। इसकी शुरुआत पूनम ने अपने पैतृक घर को संवारकर की। इसके बाद उन्होंने गरीब, विधवा और जरूरतमंद महिलाओं को स्थायी रोजगार देने पर काम किया।
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साल 2015 से पूनम अपने गांव और आसपास के गांवों में विदेशी मेहमानों को ला रही हैं। अब तक पूनम की एस कोशिश से करीब 1 हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटक इन गावों में ठहर चुके हैं। रौली ग्वाड़, नैणी, डुंगरी, देवर खडोरा समेत कई ऐसे गांव हैं, जहां पूनम अपनी मुहिम चला रही हैं। विदेशी मेहमानों को स्थानीय भोजन परोसा जाता है। रहने औदर ठहरने की शानदार सुविधाएं हैं। ऐसे में विदेशी मेहमान भी इन गावों में आकर और देवभूमि की संस्कृति से रूबरू होकर खुश हो जाते हैं। पूनम का मकसद पहाड़ के ट्रैकिंग रूट, धार्मिक स्थलों और बुग्यालों से लगे गांवों में होम स्टे को बढ़ाना है। इस पहल से एक और बेहतरीन काम हो रहा है। विदेश से आए मेहमान स्थानीय उत्पाद खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं और स्थानीय पहनावे की तरफ खिंचे चले आते हैं। पूनम रावत की इस बेहतरीन कोशिश के लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं।