image: story of pankaj semwal of tehri garhwal

शाबाश पंकज सेमवाल...पहाड़ के इस वीर नौजवान को जनरल रावत ने भी किया सलाम

पहाड़ की नौजवानों की वीरता की कहानियां अक्सर आपने सुनी होंगी। इन्हीं में से एक कहानी पंकज सेमवाल की भी है
Sep 4 2019 5:33PM, Writer:आदिशा

उत्तराखंड को यू हीं वीरभूमि नहीं कहा जाता। हर बार इस धरती के लालों ने साबित किया है कि वो जितने सजग अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए रहते हैं, उतने ही तत्पर वो अपनी मां की रक्षा के लिए भी रहते हैं। इन्हीं जांबाज नौजवानों में से एक कहानी पंकज सेमवाल की भी है। टिहरी के ग्राम नारगढ़ (धारमंडल) के रहने वाले पंकज ने वीरता की मिसाल कायम की थी। इस वजह से देश के राष्ट्रपति से लेकर, प्रधानमंत्री और आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने इस नौजवान की बहादुरी को सलाम किया था। महज 15 साल की उम्र में पंकज सेमवाल गुलदार के जबड़े से अपनी मां की जान बचाई थी। ये बात साल 2016 की है..पंकज कि मां और भाई-बहन गाँव के पास एक जंगल में थे। उस वक्त एक गुलदार ने उन पर हमला कर दिया I थोड़ी ही दूर पर मौजूद पंकज ने अपनी माँ कि चिल्लाने कि आवाज़ सुनी I वो दौड़ कर उनके पास पंहुचाI उसने देखा की मां और भाई को गुलदार घायल कर चुका था। आगे पढ़िए

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मां और छोटे भाई बहन को घायल देख पंकज का गुस्सा उस गुलदार पर फूटा। निहत्था पंकज गुलदार से एक योद्धा कि तरह लड़ा और पूरे परिवार को मौत के मुंह से बाहर निकाल लायाI इस लड़ाई में गुलदार मौके से भाग गया था। देखते ही देखते पंकज कि इस बहादुरी का किस्सा पूरे जिले में फ़ैल गया था। प्रशासन ने पंकज का नाम राष्ट्रीय वीरता पुरूस्कार के लिए समिति को भेजा थाI साल 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पंकज को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया I सम्मान समारोह के दौरान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि पंकज ने दुनिया को बता दिया कि पहाड़ के लोग कितने वीर होते हैं I पंकज सेमवाल के पिता छोटी आयु में उन्हें छोड़ कर चले गएI उनकी माँ ही खेती कर पूरे घर को संभालती हैं।
साभार-प्राइड ऑफ उत्तराखंड


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