पहाड़ में 8वीं के छात्र ने किया अनोखा आविष्कार, हर जगह हो रही है जमकर तारीफ
पहाड़ के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले प्रमोद ने खेल-खेल में इको फ्रेंडली पॉलीथिन की खोज की है, प्रमोद का आइडिया दुनिया बदल सकता है...
Dec 2 2019 11:03AM, Writer:कोमल नेगी
पॉलीथिन पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है, पूरी दुनिया में पॉलीथिन का विकल्प तलाशा जा रहा है। लोगों से पॉलीथिन, प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने की अपील की जा रही है। ऐसे वक्त में उत्तराखंड के एक छात्र ने पॉलीथिन का ऐसा शानदार विकल्प तैयार किया है, जो ना सिर्फ सस्ता है, बल्कि पूरी तरह एन्वायरमेंट फ्रेंडली भी है। हाल ही में कोटद्वार के आर्य कन्या इंटर कॉलेज में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्रांतीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण महोत्सव हुआ, जहां छात्र प्रमोद परिहार के प्रयोग की खूब तारीफ हुई। प्रमोद ने लीसा (चीड़ के पेड़ से निकलने वाला चिपचिपा पदार्थ), गोंद और नमक के मिश्रण से ऐसा पदार्थ तैयार किया है, जिसे पॉलीथिन के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। ये खोज करने वाला नन्हा प्रमोद अभी सिर्फ आठवीं में पढ़ रहा है, लेकिन पहाड़ का ये लाल पर्यावरण को बचाने के लिए पूरी तरह सजग है। प्रमोद बागेश्वर जिले के बूंथा गांव में रहता है। प्रमोद के पिता प्रकाश परिहार गांव में ही इलेक्ट्रिशियन का काम करते हैं। माता ललिता देवी गृहणी हैं।
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प्रमोद का बड़ा भाई रोहित भी उसी के साथ आठवीं में पढ़ता है। लीसा से पॉलीथिन बनाने की खोज उन्होंने खेल-खेल में की। प्रमोद छुट्टी के दिन मवेशी ले कर जंगल जाता है। साथ में लकड़ी से बनी स्लेट भी होती है, एक दिन उसने तख्ती पर लीसा, गोंद और नमक के मिश्रण का लेप लगाया। एक घंटे बाद देखा तो तख्ती पर पॉलीथिन जैसी परत जमी थी। बाद में प्रमोद ने अपने शिक्षकों को भी ये प्रयोग कर के दिखाया, जिसकी खूब तारीफ हुई। प्रमोद ने बताया कि लीसा यानि चीड़ के पेड़ से निकलने वाला चिपचिपा पदार्थ, गोंद और नमक के मिश्रण से हम पॉलीथिन का विकल्प तैयार कर सकते हैं। इससे कैरी बैग बनाए जा सकते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता। फेंकने के बाद ये खुद ही गल जाता है। पहाड़ के गांवों में लीसा आसानी से मिल जाता है, ऐसे में ये विकल्प सस्ता भी है।