पहाड़ के अखिल ने गांव में ही शुरू किया होम स्टे, अब विदेशों से भी आते हैं सैलानी..कमाई भी शानदार
उत्तरकाशी के अखिल ने अपने गांव में जो शुरुआत की है, वो पहाड़ के दूसरे क्षेत्रों में भी आय का बेहतर जरिया बन सकती है...
Dec 14 2019 10:08AM, Writer:कोमल नेगी
भगवान विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी...ये खूबसूरत जगह विदेशी सैलानियों का नया ठिकाना है। विदेशों से आने वाले पर्यटकों को उत्तरकाशी के होम स्टे खूब भा रहे हैं। यहां उनके आराम का बंदोबस्त तो है ही, उन्हें उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ने का मौका भी मिल रहा है। क्षेत्र के युवा होम स्टे योजना के जरिए सात समंदर पार से आए मेहमानों को पहाड़ की संस्कृति, यहां के खान-पान और रीति-रिवाजों के बारे में बता रहे हैं। इन्हीं युवाओं में से एक हैं अखिल पंत। अखिल भटवाड़ी ब्लॉक के गंगोरी गांव में रहते हैं। अखिल ने बीएड किया हुआ है, लेकिन वो हमेशा से पहाड़ की संस्कृति का संरक्षण करना चाहते थे, पलायन रोकना चाहते थे। यही वजह है कि अखिल ने शहर जाकर नौकरी करने की बजाय गांव में ही रोजगार के अवसर तलाशे। इस तलाश को मंजिल तक पहुंचाने में उन्हें मदद की कनाडा से आए एक पर्यटक ने। बात साल 2017 की है, कनाडा का रहने वाला पर्यटक गुस्तैब गंगोरी क्षेत्र में घूमने आया हुआ था। इसी दौरान गुस्तैब की तबीयत बिगड़ गई, उस वक्त अखिल ने गुस्तैब की बहुत मदद की।
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स्वस्थ होने के बाद गुस्तैब कनाडा लौटे और पहाड़ के इस युवक को अपने गांव में होम स्टे संचालन की सलाह दी। सलाह अखिल को जंच गई, जल्द ही उन्होंने गंगोरी में अपना पांच कमरों वालो होम स्टे तैयार कर दिया। गुस्तैब की मदद से उनके यहां विदेशी मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। बाद में उन्होंने होम स्टे का रजिस्ट्रेशन कराया, जिसके बाद उनके यहां विदेशी मेहमानों के आने का सिलसिला चल पड़ा। जर्मनी, जापान, बुल्गारिया, इजरायल और यूक्रेन जैसे देशों से आने वाले पर्यटक अखिल के होम स्टे में रुक चुके हैं। उनके होम स्टे में मेहमानों को सिर्फ पहाड़ी व्यंजन ही परोसे जाते हैं। अखिल विदेशी मेहमानों को उत्तराखंड की लोक संस्कृति के बारे में भी बताते हैं। अखिल ने बताया कि होम स्टे में ठहरने वाले मेहमान गांव में निराई, गुड़ाई और मंडाई जैसे कामों में भी हाथ बंटाते हैं। विदेशी मेहमानों के आने से अखिल के साथ ही क्षेत्र के काश्तकारों की आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है। जो शुरुआत अखिल ने की, वो शानदार है, होम स्टे योजना पहाड़ के दूसरे क्षेत्रों में भी रोजगार का बेहतर माध्यम बन सकती है।