अब देवभूमि में उड़ान भरेंगे भारतीय वायु सेना के विमान, तैयार है चिन्यालीसौड़ हवाईपट्टी
इस हवाई पट्टी से चीन सीमा की हवाई दूरी यानि एरियल डिस्टेंड महज 125 किलोमीटर है, यही वजह इसे वायुसेना के लिए खास बनाती है...
Dec 28 2019 3:50PM, Writer:कोमल
उत्तरकाशी में सेना की आवाजाही अब और आसान होगी। सेना हवाई सेवा के लिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का इस्तेमाल कर सकेगी। गुरुवार को इस हवाई पट्टी पर वायु सेना के मालवाहक 52 सीटर मल्टीपरपज विमान और डोनियर डीओ 228 विमान ने सफलतापूर्वक टेकऑफ और लैंडिंग की। ये एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि वायु सेना इस हवाई पट्टी को लेकर लंबे वक्त से प्रयोग कर रही है। पिछले साल वायुसेना ने यहां ऑपरेशन गगन शक्ति के तहत तीन दिन का अभ्यास किया था। उत्तराखंड की सीमाएं चीन से सटी हैं, जो कि इसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य बनाती हैं। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का विस्तार क्यों जरूरी है और ये सेना के लिए क्यों अहम है, ये भी आपको जानना चाहिए। दरअसल इस हवाई पट्टी से चीन सीमा की हवाई दूरी यानि एरियल डिस्टेंड महज 125 किलोमीटर है। यही वजह इसे वायुसेना के लिए खास बनाती है। गुरुवार को हवाई पट्टी की क्षमता जांचने के लिए वायु सेना के अधिकारियों ने हेलीकॉप्टर से रैकी की।
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बाद में डोनियर डीओ-228 ने यहां सफल लैंडिंग की। इसके बाद वायु सेना का 52 सीटर मल्टीरपज विमान यहां उतरा। दोनों विमानों की सफल लैंडिंग देख वायु सेना के अधिकारियों के चेहरे खिल गए। वायु सेना के अधिकारियों ने हवाई पट्टी का निरीक्षण किया। उन्होंने हवाई पट्टी की स्थिति को सही बताया। वायुसेना की टीम की अगुवाई विंग कमांडर शुभम ने की। प्रदेश में हवाई सेवाओं के विस्तार की कवायद जारी है। जौलीग्रांट एयरपोर्ट के साथ ही पंतनगर एयरपोर्ट में वर्ल्ड क्लास सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। नैनी सैनी हवाई पट्टी से भी विमान नियमित रूप से उड़ान भर रहे हैं। जल्द ही गौचर भी हवाई सेवा से जुड़ जाएगा। गौचर हवाई पट्टी को उड़ान सेवा योजना से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। क्षेत्र के लोग पिछले 23 साल से गौचर में हवाई सेवा शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।