image: Temru plant is very useful for medicinal properties

देवभूमि का अमृत: बीपी, पेट और दांतों की हर बीमारी का इलाज है टिमरू..विदेशों में है भारी डिमांड

जब तक कैमिकलयुक्त टूथपेस्ट गांव-गांव नहीं पहुंचा था, तब तक लोग टिमरु के डंठल से ही दांतों को साफ किया करते थे..
Jan 7 2020 12:10PM, Writer:कोमल

देवभूमि उत्तराखंड...प्रकृति ने इस जगह को अपनी अनमोल नेमतों से नवाजा है। यहां औषधीय पेड़-पौधों का भंडार है। पहाड़ में मिलने वाले पौधों में औषधीय गुण हैं। पुराने जमाने के लोग इन गुणों को पहचानते थे। बीमारियों को ठीक करने के लिए इनका इस्तेमाल करते थे। यही औषधीय पेड़-पौधे उन्हें निरोग रहने और लंबी उम्र हासिल करने में मदद करते थे। बेहद अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि ये पारंपरिक ज्ञान अब लुप्त होता जा रहा है। राज्य समीक्षा के जरिए हम पहाड़ के पारंपरिक औषधीय ज्ञान को सहेजने का प्रयास कर रहे हैं। इस कड़ी में हम बात करेंगे टिमरु की। इसे औषधीय गुणों का भंडार कहा जाये तो गलत ना होगा। टिमरु की छाल का इस्तेमाल टूस्पेस्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसमें दांतों की बीमारियों से लड़ने की अद्भुत ताकत है। पहाड़ में इसका इस्तेमाल दातून के तौर पर होता है।

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जब तक कैमिकलयुक्त टूथपेस्ट गांव-गांव नहीं पहुंचा था, तब तक लोग टिमरु के डंठल से ही दांतों को साफ किया करते थे। इसीलिए उन्हें डेंटिस्ट के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। टिमरु का वैज्ञानिक नाम जैंथेजाइमल अरमेटम है। पहाड़ में मिलने वाले इस पेड़ की विदेशों में खूब डिमांड है। चीन, नेपाल, तिब्बत, थाईलैंड और भूटान में टिमरु का इस्तेमाल दवा बनाने के साथ ही मसाले बनाने के लिए भी किया जाता है। टिमरू की लकड़ी से दातुन करने पर पायरिया नहीं होता। दांतों से जुड़ी दूसरी बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। पहाड़ में इसके बीजों से चटनी बनती है। जो कि उदर रोग में आराम देती है। उत्तराखंड में टिमरु की लकड़ी को पवित्र माना जाता है और इसे मंदिरों में भी चढ़ाया जाता है। टिमरु के औषधीय इस्तेमाल को लेकर अभी और शोध किये जाने की जरूरत है, ताकि इसकी मेडिशनल वेल्यू का इस्तेमाल बीमारियों को ठीक करने में किया जा सके।


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