उत्तराखंड में अमन मणि मामले से उबाल, सवालों के घेरे में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश
विधायक अमनमणि त्रिपाठी गिरफ्तार हो चुके हैं। हैरानी वाली बात ये है कि विधायक और उनके साथियों को देहरादून जिले से पास जारी किया गया था, इस मामले में अपर मुख्य सचिव भी पर सवाल उठ रहे हैं...
May 4 2020 7:52PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
कहने को नियम-कानून सबके लिए समान हैं, लेकिन ये बस कहने की बात है। रविवार को उत्तराखंड के चमोली में जो हुआ, उसे देख लगता नहीं कि कानून माननीयों के लिए कोई खास मायने रखता है। तो क्या नियम सिर्फ आम लोगों शोषण करने के लिए बनाए गए हैं। रविवार को यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी अपने लाव-लश्कर के साथ तीन वाहनों समेत चमोली जा रहे थे। यूपी की सीमा लांघ तमाम रेड, ऑरेंज जोन पार करते हुए चमोली तक पहुंच भी गए, लेकिन कर्णप्रयाग में प्रशासन और पुलिस ने इन्हें बैरंग लौटा दिया। अमनमणि त्रिपाठी की गाड़ी का चालान कटा, लाइसेंस भी रद्द हुआ। विधायक समेत 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ सो अलग और बिजनौर में गिरफ्तारी हुई सो अलग। विधायक अमनमणि त्रिपाठी गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन अपने पीछे जो रायता फैला गए हैं, अब उसे समेटना मुश्किल हो रहा है। हैरानी वाली बात ये है कि विधायक और उनके साथियों को देहरादून जिले से पास जारी किया गया था। जबकि वो अपने साथियों के साथ पौड़ी जिले की सीमा से होते हुए उत्तराखंड में दाखिल हुए थे। अमनमणि त्रिपाठी के जिनके नाम से पास जारी करने के लिए लेटर था, उन अपर मुख्य सचिव का नाम है ओमप्रकाश। अब इन पर भी सवाल उठ रहे हैं। मामले को तूल पकड़ता देख इन्होंने पास जारी करने के लिए देहरादून के डीएम के सिर दोष मढ़ दिया। आगे पढ़िए..
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विधायक अमनमणि उत्तराखंड के चार जिलों से होते हुए गुजरे, पर किसी ने इन्हे रोका नहीं। चमोली जिला, जहां से इन्हें लौटाया गया वहां भी अगर ये पुलिस से बदसलूकी ना करते तो शायद हम ये खबर ना लिख रहे होते। विधायक को बदरीनाथ-केदारनाथ जाने की इजाजत मिली हुई थी, जबकि बदरीनाथ के अभी कपाट भी नहीं खुले हैं। यहां रावल को जाने की भी अनुमति नहीं मिली थी। ऐसे में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बदरीनाथ-केदारनाथ जाने की परमीशन कैसे दे दी। अपर मुख्य सचिव की तरफ से जारी लेटर में देहरादून के डीएम को लिखा गया है कि इन्हें बदरीनाथ-केदारनाथ जाने की अनुमति दी जाए। विधायक समेत 11 लोगों के नाम और तीन गाड़ियों के नंबर भी दर्ज हैं लेटर में। इसी लेटर को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। हालांकि अपर मुख्य सचिव हर सवाल का जवाब देने से बच रहे हैं। उन्होंने मामले से पूरी तरह पल्ला झाड़ते हुए गेंद देहरादून डीएम के पाले में डाल दी है। उन्होंने एक न्यूज चैनल से कहा कि पास जारी करने से पहले डीएम को तमाम पहलुओं पर विचार करना चाहिए था।