image: Now migrants do not want to come to Uttarakhand

अब उत्तराखंड लौटने से कतराने लगे प्रवासी, दिल्ली से कई बसें खाली लौटीं..जानिए वजह

हाल में एक लाख प्रवासियों ने उत्तराखंड लौटने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। लेकिन जब इनसे फोन पर बात की गई तो 70 हजार लोगों ने कोई रेस्पांस नहीं दिया। जिन 30 हजार लोगों ने रेस्पांस दिया भी उनमें से भी सिर्फ 3 हजार लोग ही उत्तराखंड लौटे....
May 30 2020 3:01PM, Writer:कोमल नेगी

कोरोना संकट से जूझ रहे उत्तराखंड में बाहर से लौट रहे प्रवासियों के लिए फेसेलिटी क्वारेंटीन में रहना अनिवार्य कर दिया गया है। यहां कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं। कुछ मामलों में संस्थागत क्वारेंटीन पर होने वाला खर्चा प्रवासियों को खुद उठाना पड़ रहा है। इन्हीं सब वजहों के चलते अब प्रवासी उत्तराखंड लौटने से डरने लगे हैं। प्रवासियों के डर की एक बड़ी वजह कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले भी हैं। शुक्रवार को प्रदेश में 208 कोरोना संक्रमित मरीज मिले। इन्हें मिलाकर प्रदेश में संक्रमितों का आंकड़ा 716 हो गया है। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण का पहला केस 15 मार्च को आया था। 3 मई तक कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 61 था। तब लगा था कि हम कोरोना को आसानी से हरा देंगे। लोग भी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन-03 में जैसे ही प्रवासियों की राज्य में वापसी हुई। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से उछाल आया।

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: कोरोना काल में विधायक का ऐलान..सभी ग्राम प्रधानों को देंगे 10-10 हजार रुपये
अब यहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 716 हो गया है। कई जगह क्वारेंटीन सेंटर में भी कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। ऐसे में प्रवासियों को डर है कि कि कहीं वो भी संक्रमित ना हो जाएं, इसी डर से प्रवासी उत्तराखंड से दूरी बनाने लगे हैं। सरकार ने होम क्वारेंटीन जैसी सुविधा देने से भी इनकार कर दिया है। जो लोग हवाई यात्रा कर के आएंगे। उन्हें होटल में क्वारेंटीन किया जाएगा। होटल में रहने और खाने का खर्चा यात्री को खुद देना होगा। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि हाल में एक लाख प्रवासियों ने उत्तराखंड लौटने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। लेकिन जब इनसे फोन पर बात की गई तो 70 हजार लोगों ने कोई रेस्पांस नहीं दिया। जिन 30 हजार लोगों ने रेस्पांस दिया भी उनमें से भी सिर्फ 3 हजार लोग ही प्रदेश लौटने के लिए तैयार हुए। प्रवासियों को लाने के लिए जो बसें दिल्ली भेजी गईं थीं, उनमें से ज्यादातर खाली लौटीं। वहीं सरकार के इस कड़े फैसले की प्रदेशवासी तारीफ कर रहे हैं। लोगों ने कहा कि बाहर से लौटे प्रवासी होम क्वारेंटीन नियमों का पालन नहीं कर रहे थे, जिससे संक्रमण की आशंका बढ़ रही थी। अब संस्थागत क्वारेंटीन की अनिवार्यता रखी गई है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home