उत्तराखंड: हीरा सिंह राणा जी के 5 बेमिसाल गीत, जिन्होंने इतिहास रचा है..आप भी देखिए
हीरा सिंह राणा जी हर महफिल की जान होते थे। उत्तराखँड ना जाने कितने ऐसे सम्मान हैं, जो राणा जी को दिए जा चुके हैं। आइए आप भी देखिए उनके 5 बेमिसाल गीत
Jun 13 2020 3:55PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
हीरा सिंह राणा जी हर महफिल की जान होते थे। उत्तराखँड ना जाने कितने ऐसे सम्मान हैं, जो राणा जी को दिए जा चुके हैं। आकाशवाणी, दूरदर्शन और ना जाने कितने ही संचार माध्यमों के जरिए हीरा सिंह राणा जी ने उत्तराखँड की संस्कृति और सभ्यता को दुनिया के सामने पेश किया। शुरुआत में राणा जी ने सरकारी नौकरी की थी, लेकिन ये नौकरी इसलिए छोड़ी थी, क्योंकि उत्तराखंड के संगीत की साधना करनी है। जाने माने कवि और गीतकार हीरा सिंह राणा वर्तमान में गढ़वाली-कुमाऊँनी-जौनसारी' भाषा अकादमी दिल्ली के पहले उपाध्यक्ष थे। कुमाऊनी के सर्वाधिक लोकप्रिय गीतकार, संगीतकार और गायक हीरा सिंह राणा को हृदयाघात हुआ जिसके बाद आज सुबह ढाई बजे दिल्ली में उनका निधन हो गया, राणा जी 77 साल के थे। हीरा सिंह राणा जी का जन्म 16 सितंबर 1942 को उत्तराखण्ड के कुमाऊं के एक खूबसूरत गांव मानिला डंढ़ोली में हुआ था, ये गांव अल्मोड़ा जिले में पड़ता है. उनकी माता का नाम स्व: नारंगी देवी और पिता स्व: मोहन सिंह थे। आगे देखिए उनके 5 बेमिसाल गीत
हीरा सिंह राणा प्राथमिक शिक्षा मानिला से ही पूरी करने के बाद दिल्ली मैं नौकरी करने लगे थे। पर मन तो अपने पहाड़ों में था, पहाड़ों के संगीत में था। इसलिए दिल्ली छोड़ दी। और उसके बाद ताउम्र कुमाऊनी संगीत की सेवा करते रहे।
एक दौर था जब संगीत कैसेट पे सुना जाता था, हीरा सिंह राणा जी उस दौर के सुपर स्टार थे। उस दौर में शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहां टेप रिकॉर्डर हो और हीरा सिंह राणा जी का गाना ना बजता हो।
हीरा सिंह राणा जी के कुमाउनी लोक गीतों के अल्बम रंगीली बिंदी, रंगदार मुखड़ी, सौमनो की चोरा, ढाई विसी बरस हाई कमाला, आहा रे ज़माना जबर्दस्त हिट रहे थे। उनके लोकगीत ‘रंगीली बिंदी घाघरी काई,’ ‘के संध्या झूली रे,’ ‘आजकल है रे ज्वाना,’ ‘के भलो मान्यो छ हो,’ ‘आ लिली बाकरी लिली,’ ‘मेरी मानिला डानी,’ कुमाऊनी के सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों में शुमार हैं।
हीरा सिंह राणा को उनके ठेठ पहाड़ी प्रतीकों वाले गीतों के लिए जाना जाता है। वे लम्बे समय से अस्वस्थ होने के बावजूद कुमाऊनी लोकसंगीत की बेहतरी के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। हीरा सिंह राणा जी का निधन उत्तराखण्ड के संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
उनके गीतों में भाव था, पहाड़ का दर्द था, पहाड़ की संवेदनाएं थी..वास्तव में पहाड़ ने आज अपना हीरा खो दिया।