image: Chinmay aakash and anupam three friends became army officer

उत्तराखंड: 3 दोस्त एक साथ बने आर्मी ऑफिसर..11 साल से दे रहे हैं एक दूसरे का साथ

उत्तराखंड के रहने वाले तीन दोस्तों ने स्कूल में साथ में पढ़ाई की और उसी वक्त ये तय कर लिया कि तीनों सेना में अफसर बनेंगे। ऐसा ही हुआ भी। 13 जून ये तीनों दोस्त भारतीय सेना में अफसर बन गए...जानिए इनकी कहानी
Jun 14 2020 2:34PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

हम जब पैदा होते हैं तो कुछ रिश्ते हमें जन्म के साथ ही मिल जाते हैं। हमें ये रिश्ते चुनने नहीं पड़ते, लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो हम अपने लिए खुद चुनते हैं। ऐसा ही एक रिश्ता है दोस्ती। आज हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं, वो तीन दोस्तों की है। ऐसे दोस्त जिनमें बचपन से ही देशसेवा का जुनून था। तीनों ने स्कूल में साथ में पढ़ाई की और उसी वक्त ये तय कर लिया कि तीनों सेना में अफसर बनेंगे। ऐसा ही हुआ भी। 13 जून को ये तीनों दोस्त भारतीय थल सेना में अफसर बन गए। इनका नाम है चिन्मय शर्मा, आकाश सजवाण और अनुपम नयाल। तीनों उत्तराखंड के रहने वाले हैं। चिन्मय रुद्रप्रयाग के मयकोटी गांव के रहने वाले हैं, जबकि आकाश सजवाण का परिवार गुप्तकाशी में रहता है। अनुपम हल्द्वानी के रहने वाले हैं। 11 साल से ये तीनों दोस्त साथ हैं। पहली बार इन तीनों की मुलाकात घोड़ाखाल के सैनिक स्कूल में हुई थी। तीनों ने 6वीं कक्षा में साथ में एडमिशन लिया।

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चिन्मय और आकाश के बीच शुरू से गहरी दोस्ती थी, बाद में क्लास में इनकी दोस्ती अनुपम से हो गई। तीनों दोस्त सेना में अफसर बनने का सपना देखा करते थे। इसे संयोग ही कहेंगे की तीनों ने पहली बार में ही एनडीए की परीक्षा पास कर ली। इस तरह तीनों एनडीए में साथ में ट्रेनिंग करने लगे। बाद में तीनों एक साथ आईएमए पहुंचे। चिन्मय के पिता मनोज शर्मा और मां वीना शर्मा दोनों ही सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। आकाश सजवाण के पिता आनंद सिंह सजवाण का अपना व्यवसाय है और मां मीना सजवाण शिक्षिका हैं। वहीं अनुपम के पिता आनंद सिंह ब्लॉक अफसर हैं, जबकि मां जानकी नयाल गृहणी हैं। स्कूल से लेकर सेना में अफसर बनने तक का सफर, इन तीनों दोस्तों के लिए यादगार बन गया। 13 जून को अंतिम पग पार करते ही ये तीनों भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए। आईएमए से विदाई के वक्त तीनों दोस्तों को बिछुड़ने का गम तो था, लेकिन उससे कहीं मजबूत था देश सेवा का जज्बा, जो कि इन तीनों की आंखों में साफ दिख रहा था। तीनों ने सेना में अफसर बनने का श्रेय अपने परिवार और गुरुजनों को दिया।


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