गढ़वाल में एक शख्स की दो कोरोना रिपोर्ट..सरकारी वाली पॉजिटिव, प्राइवेट वाली नेगेटिव
उत्तराखंड के टिहरी जिले के सर्विलांस अधिकारी के कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट को देखने के बाद उनके होश उड़ गए। सरकारी लैब के अनुसार अधिकारी की रिपोर्ट्स पॉजिटिव हैं वहीं प्राइवेट लैब के अनुसार उनकी रिपोर्ट्स नेगेटिव हैं।
Jun 24 2020 2:29PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड में कोरोना केस लगातार बढ़ रहे हैं। राज्य सरकार, प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग के द्वारा गलती की एक भी गुंजाइश नहीं है। एक छोटी सी भूल काफी बड़ी तबाही मचा सकती है। ऐसे में उत्तराखंड के स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग अब तक कोरोना रिपोर्ट्स के पॉजिटिव या नेगेटिव की ही ठीक ढंग से पुष्टि नहीं कर पा रहा है। उत्तराखंड में कोरोना टेस्ट के ऊपर सवाल उठने लगे हैं। अलग-अलग जगह से एक ही व्यक्ति की अलग-अलग रिपोर्ट्स आ रही हैं। हाल ही में उत्तराखंड के टिहरी जिले के सर्विलांस अधिकारी की कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट आई जिसको देखने के बाद उनके होश उड़ गए। आम तौर पर या तो रिजल्ट पॉजिटिव आता है या फिर नेगेटिव। मगर टिहरी में तो गजब हो गया। सरकारी लैब के अनुसार अधिकारी की रिपोर्ट्स पॉजिटिव हैं वहीं प्राइवेट लैब के अनुसार उनकी रिपोर्ट्स नेगेटिव हैं। यह देख कर सभी का सिर चकराया हुआ है। सवाल यह है कि किसके ऊपर भरोसा किया जाए। उससे भी बड़ा सवाल यह है कि इतनी तीव्रता से फैल रही इस महामारी का टेस्ट करने में भी इतनी बड़ी लापरवाही आखिर किस हद तक सहनीय है। चलिए आपको पूरी घटना से अवगत कराते हैं।
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मामला टिहरी जिले का है। टिहरी जिले में सर्विलांस की जिम्मेदारी देख रहे क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर मनोज वर्मा का है। उनको हाल फिलहाल में ही अपने अंदर कोरोना के सिंप्टम्स मिले जिसके बाद उन्होंने अपना टेस्ट कराया। टेस्ट की जांच उन्होंने प्राइवेट एवं सरकारी लैब में भेजी। जब रिपोर्ट्स आईं तो बवाल मच गया, क्योंकि दोनों लैब्स की रिपोर्ट अलग-अलग आईं । जी हां, सरकारी लैब के अनुसार उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव थी वहीं प्राइवेट लैब के अनुसार उनकी रिपोर्ट्स नेगेटिव आईं थीं। ऐसे में कौन ज्यादा विश्वसनीय है यह पता लगाना बाद की बात है मगर अभी बड़ा सवाल उठता है कि कोरोना जब राज्य में चरम पर है ऐसे में इतनी बड़ी लापरवाही क्यों। फिलहाल अधिकारी को पॉजिटिव मानते हुए उनको होम आइसोलेशन में रखा गया है। वहीं एक ही व्यक्ति के कोरोना जांच की दो अलग-अलग रिपोर्ट्स से कई प्रकार का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में अगर किसी कोरोना नेगेटिव को पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। वहीं कोई संक्रमित मरीज रिपोर्ट के अनुसार नेगेटिव होने पर उससे दूसरों को खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। जरूरत है कि लैब की गुणवत्ता जांची जाए। वहीं स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि लोगों को सही रिपोर्ट्स मिलें।