उत्तराखंड: विधानसभा चुनाव से पहला ‘हरदा’ का मास्टरस्ट्रोक, बागी विधायकों को दिया ये ‘ऑफर’
साल 2016 में कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों ने बाद में बीजेपी का दामन थाम लिया। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हरदा की राह में कांटे बो दिए, ऐसे में हरदा इनसे बुरी तरह खफा थे।
Jul 24 2020 6:32PM, Writer:Komal Negi
मार्च 2016...उत्तराखंड की राजनीति में ये साल बेहद अहम रहा। राज्य में हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी। सब स्मूद चल रहा था, लेकिन एक झटके में कांग्रेस का किला ढह गया। कांग्रेस के 9 विधायक पार्टी से बगावत कर बीजेपी में शामिल हो गए। 9 विधायकों के पार्टी छोड़ देने से कांग्रेस को जो झटका लगा, उससे पार्टी अब तक नहीं उबर पाई है। पार्टी छोड़ने वाले विधायकों ने बाद में बीजेपी का दामन थाम लिया। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हरदा की राह में कांटे बो दिए, ऐसे में हरदा इनसे बुरी तरह खफा थे, हालांकि समय के साथ हरीश रावत का रुख अब कुछ नरम हुआ है। कभी कांग्रेस छोड़ कर गए नेताओं की घर वापसी के घोर विरोधी रहे हरीश रावत ने अब इन्हें एक खास ऑफर दिया है। ये ऑफर क्या है, चलिए बताते हैं।
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एक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सीएम हरीश रावत ने बागियों की घर वापसी पर बड़ी बात कही है। देहरादून में दिए एक बयान में उन्होंने कहा कि बगावत कर जाने वाले नेता अगर लोकतंत्र और जनता से माफी मांग लें, तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा। हरीश रावत बोले कि ये लोग मेरे नहीं बल्कि लोकतंत्र और जनता के गुनाहगार हैं। आपको बता दें कि मार्च 2016 में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, अमृता रावत, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा, शैलेंद्र मोहन सिंघल, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और शैला रानी रावत ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। बाद में ये सभी बीजेपी में शामिल हो गए। 9 विधायकों के चले जाने के बाद सतपाल महाराज, यशपाल आर्य और रेखा आर्य ने भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था।
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गुरुवार को मीडिया से मुलाकात के दौरान हरदा बोले की साल 2016 में कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सरकार गिरा कर राज्य में अस्थिरता फैलाने की साजिश रची। वे अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो सके, लेकिन इससे राज्य को बहुत नुकसान हुआ। बागी विधायकों की महत्वाकांक्षाएं राज्य पर भारी पड़ीं। इस वजह राज्य में समय पर बजट पास नहीं हो पाया। विकास कार्य ठप हो गए। हरीश रावत ने कहा कि अब अगर ये लोग कांग्रेस में वापस लौटना चाहते हैं, तो उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी। मेरा उनके साथ कोई विरोध नहीं है। हरीश रावत के इस बयान के कई सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस के भीतर अक्सर ये सुगबुगाहट भी होती रहती है कि साल 2016 में पार्टी छोड़कर गए कुछ लोग वापसी के इच्छुक हैं। हरीश रावत कैंप को भी कुछ लोगों की पार्टी में वापसी कराना फायदे का सौदा लगता है, इसलिए अब कांग्रेस के नेता बागियों की वापसी के पक्षधर बताए जा रहे हैं।