image: Water will go from Badrinath for the foundation stone of Ayodhya Ram temple

जय देवभूमि: अयोध्या राम मंदिर के शिलान्यास के लिए बदरीनाथ से भेजी जाएगी ये सौगात

श्रीराम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम की मिट्टी और अलकनंदा नदी का जल भी प्रयोग किया जाएगा।
Jul 27 2020 6:48PM, Writer:Komal Negi

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ होने वाला है। पांच सौ साल बाद यहां एक बार फिर रामदरबार सजेगा। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करेंगे, इसी के साथ करोड़ों रामभक्तों का सपना साकार होने वाला है। श्रीराम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम की मिट्टी और अलकनंदा नदी का जल भी प्रयोग किया जाएगा। बदरीनाथ धाम की पावन मिट्टी और अलकनंदा नदी का जल शिलान्यास कार्यक्रम के लिए अयोध्या ले जाया जाएगा। बदरीधाम में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद विश्व हिंदू परिषद के प्रतिनिधि देवी प्रसाद देवली बदरीनाथ धाम से मिट्टी और पवित्र जल लेकर अयोध्या के लिए प्रस्थान करेंगे। खुद बदरीनाध धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने इसकी पुष्टि की है। बदरीनाध धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि श्री बदरीनाथ धाम आने वाले कई श्रद्धालु यहां की मिट्टी और अलकनंदा नदी का जल अपने साथ लेकर वापस लौटते हैं। इसका प्रयोग शुभ कार्यों में किया जाता है। अब धाम की मिट्टी और जल को अयोध्या भेजा जा रहा है। जहां श्रीराम मंदिर के शिलान्यास में इसका प्रयोग किया जाएगा। आगे पढ़िए

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धाम की मिट्टी और पवित्र जल को अयोध्या के लिए भेजने से पहले सांकेतिक पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद मिट्टी और जल पात्र विश्व हिंदू परिषद के प्रतिनिधि देवी प्रसाद देवली को सौंपा जाएगा। जो इसे अयोध्या लेकर जाएंगे। बता दें कि अयोध्या में राममंदिर के भूमि पूजन की तैयारियां जोरों पर हैं। पूरे अयोध्या शहर को त्रेतायुग जैसी भव्यता और दिव्यता देने का प्रयास जारी है। शहर की सजावट देखते ही बनती है। प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए जन-जन पलक पावड़े बिछाए इंतजार में हैं। 3 अगस्त से पूरा परिसर रोशनी में नहाया नजर आएगा। शहर को सजाने के लिए प्रशासन ने पूरी टीम उतारी है। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के भूमिपूजन का ब्लूप्रिंट खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तय किया है। योगी आदित्यनाथ मूलरूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं। ऐसे में अब बदरीधाम की माटी और अलकनंदा के जल के माध्यम से उत्तराखंड भी इस भव्य आयोजन का गवाह बनने जा रहा है।


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