image: Uttarkashi Gartangali gets wild life clearance

उत्तराखंड में दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में एक रास्ता..अब ये जगह बनेगी रोमांच का केन्द्र

गर्तांगली दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले रास्तों में शुमार है। अच्छी खबर ये है कि 45 साल के लंबे इंतजार के बाद गर्तांगली पर्यटन के नक्शे पर आने वाली है। आगे पढ़िए पूरी खबर
Aug 4 2020 10:05AM, Writer:Komal Negi

एडवेंचर टूरिज्म का जिक्र होते ही आपकी नजरों के सामने डिस्कवरी-नेशनल जियोग्राफी की तस्वीरें घूम जाती होंगी। ऊंचे पहाड़ और इन पर इंसान की जीत की कहानियां आपको भी खूब लुभाती होंगी, लेकिन विदेशी वादियों से नजरें हटाकर जरा अपने उत्तराखंड को भी देख लें। यहां उत्तरकाशी में एक ऐसी जगह है, जिसे देख आपकी सांसें थम जाएंगी। ये जगह है गर्तांगली, जो कि दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले रास्तों में शुमार है। ऐसा क्यों है, ये आप तस्वीरें देखकर खुद समझ सकते हैं। अच्छी खबर ये है कि 45 साल के लंबे इंतजार के बाद गर्तांगली पर्यटन के नक्शे पर आने वाली है। गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में स्थित गर्तांगली को विकसित करने में कई तरह की बाधाएं सामने आ रही थीं। अब वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस संबंधी बाधा दूर हो गई है।

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वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस के बाद कभी भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र रहा ये मार्ग अब पर्यटकों को रोमांच का अनुभव कराने के लिए तैयार है। शुक्रवार को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने इस संबंध में लोक निर्माण विभाग को एनओसी जारी कर दी। पहाड़ पर उकेरा गया ये पुराना मार्ग आज भी लोगों के लिए रोमांच और हैरानी का सबब बना हुआ है। कहते हैं गर्तांगली का निर्माण पेशावर से आए पठानों ने पहाड़ी चट्टान को किनारे से काटकर किया था। साल 1975 तक सेना भी इसका इस्तेमाल करती रही, लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया। गर्तांगली भैरवघाटी से नेलांग को जोड़ने वाले पैदल मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में मौजूद है। साल 1962 के भारत-चीन युद्ध से पहले तक इसी रास्ते से भारत-तिब्बत के बीच व्यापार होता था। आगे पढ़िए

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गर्तांगली को पेशावर के पठानों ने 11 हजार फीट की ऊंचाई पर खड़ी चट्टान को काटकर बनाया था। करीब 300 मीटर लंबे इस गलीनुमा रास्ते को गर्तांगली नाम दिया गया। साल 1962 की लड़ाई के बाद गर्तांगली को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया, लेकिन सेना साल 1975 तक इसका इस्तेमाल करती रही। बाद में यहां लोगों की आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई। देखभाल ना होने की वजह से इसकी सीढ़ियां और लकड़ी की सुरक्षा बाड़ जर्जर होती चली गई। इसे खोलने के प्रयास साल 2018 से जारी हैं, लेकिन वन कानून की वजह से कोशिशें सफल नही हो पा रही थीं। अब लोनिवि को इसके जीर्णोद्धार के लिए एनओसी मिल गई है। जिसके बाद गर्तांगली की सीढ़ियों और सुरक्षा बाढ़ को दुरुस्त किया जाएगा। मरम्मत का काम पूरा होने पर इसे ट्रैकिंग और पर्यटकों की आवाजाही के लिए खोला जाएगा।


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