देहरादून का ईनामी डॉक्टर 26 साल बाद गिरफ्तार, DIG अरुण मोहन जोशी का प्लान काम आया
डॉक्टर साहब को शस्त्र लाइसेंस की जरूरत थी। तब इन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के लेटरपैड पर निजी सचिव के फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करा दिए, लेकिन फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया।
Sep 6 2020 9:12PM, Writer:Komal Negi
किसी ने सच ही कहा है परफेक्ट क्राइम जैसी कोई चीज नहीं होती। कानून के हाथ लंबे होते हैं, सालों बाद ही सही अपराधी के गिरेबान तक पहुंच ही जाते हैं। अब देहरादून में ही देख लें। यहां 26 साल पहले एक डॉक्टर ने हथियार के लाइसेंस के लिए फर्जीवाड़ा किया था। डॉक्टर की किस्मत खराब थी। फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया और फिर पुलिस डॉक्टर के पीछे पड़ गई। डॉक्टर को जैसे ही ये पता चला कि पुलिस उसे ढूंढ रही है, वो तुरंत दून से फरार हो गया। आरोपी की धरपकड़ के लिए पुलिस ने अभियान चलाया। 1500 रुपये का इनाम भी घोषित किया, लेकिन डॉक्टर नहीं मिला। इस मामले में ताजा अपडेट ये है कि 26 साल बाद पुलिस आखिरकार आरोपी डॉक्टर तक पहुंचने में कामयाब रही और उसे हरियाणा से गिरफ्तार कर दून ले आई। चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं।
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घटना साल 1994 की है। उस वक्त निजी चिकित्सक सुधीर उर्फ शांतिस्वरूप तिवारी देहरादून के पंडितवाड़ी में रहते थे, यहां उनका क्लीनिक था। डॉक्टर साहब को शस्त्र लाइसेंस की जरूरत थी। तब इन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के लेटरपैड पर निजी सचिव के फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करा दिए, लेकिन फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया। जांच में संस्तुति पत्र फर्जी मिला। जिसके बाद कैंट कोतवाली में सुधीर के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया। मामले की विवेचना सीआईडी लखनऊ ने की थी। सुधीर के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किए गए थे, लेकिन जैसे ही सुधीर को इस बारे में पता चला वो फरार हो गया। तब से डॉक्टर सुधीर फरार चल रहा था। साल 2006 में उस पर 15 सौ रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था, लेकिन डॉ. सुधीर का पता नहीं चला। डॉ. सुधीर को फरार हुए 26 साल बीत गए।
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पिछले दिनों डीआईजी अरुण मोहन जोशी के निर्देश पर पुलिस ने इनामी बदमाशों की धरपकड़ के लिए अभियान शुरू किया। इस दौरान डॉ. सुधीर की भी तलाश शुरू हुई। जांच हुई तो पता चला कि डॉ. सुधीर हरियाणा के पलवल में छिपे हैं। खबर मिलते ही पुलिस पलवल पहुंच गई और डॉ. सुधीर को पकड़ कर देहरादून ले आई। डॉ. सुधीर पलवल में एक चैरिटेबल अस्पताल में बतौर फिजीशियन सेवाएं दे रहे थे। देहरादून पुलिस उन्हें हरियाणा से पकड़ कर दून लाई और कोर्ट में पेश करने के बाद आरोपी डॉक्टर को जेल भेज दिया। जांच में पता चला कि दून से फरार होने के बाद वो मेरठ चला गया था। वहां से वृंदावन और फिर हरियाणा के पलवल में छिपा रहा। आरोपी डॉक्टर का एक बेटा विदेश में है जबकि बेटी पुणे में रहती है।