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उत्तराखंड: बेटे को बचाने के लिए बाप ने जमीन, बेटे की तड़प-तड़प कर मौत

डॉक्टरों ने इलाज के लिए 10 लाख रुपये मांगे तो बेटे की जान बचाने की खातिर परिजनों ने डेढ़ बीघा जमीन बेचकर अस्पताल में रकम जमा करा दी, लेकिन युवक बच नहीं सका। आगे पढ़िए पूरी खबर
Oct 2 2020 8:22PM, Writer:Komal Negi

किसी ने ठीक ही कहा है ‘भगवान अस्पताल की राह दुश्मन को भी ना दिखाए’। एक वक्त था जब इलाज को सेवा माना जाता था और डॉक्टर को भगवान, लेकिन अब निजी अस्पतालों ने इसी सेवा कर्म को कमर्शियल एक्टिविटी बना दिया है। घायल लोग दर्द से तड़पते रहते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन इनके दर्द से बेपरवाह हो इलाज के लंबे-चौड़े बिल बनाने में व्यस्त रहता है। रुद्रपुर में भी यही हुआ। यहां एक घायल युवक को परिजनों ने मेडिसटी अस्पताल में भर्ती कराया था। डॉक्टरों ने कहा दस लाख रुपये लेकर आओ, तुम्हारे बेटे की जान बचा लेंगे। बेटे की जान बचाने की खातिर परिजनों ने डेढ़ बीघा जमीन बेचकर 10 लाख रुपये जुटाए और अस्पताल में जमा करा दिए, लेकिन युवक बच नहीं सका।

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युवक की मौत के बाद परिजनों ने मेडिसिटी अस्पताल में जमकर हंगामा काटा। चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं। बीते 25 सितंबर को बहेड़ी निवासी 20 वर्षीय बलबीर सिंह अपने भाई हरजिंदर सिंह के साथ बाइक से कहीं जा रहा था। इसी बीच तेज रफ्तार कार ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। हादसे के बाद दोनों भाइयों को परिजनों ने मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान हरजिंदर की मौत हो गई थी। जबकि बलबीर सिंह का इलाज चल रहा था। शुक्रवार को इलाज के दौरान बलबीर ने भी दम तोड़ दिया। बलबीर की मौत के बाद गुस्साए परिजनों और नाते-रिश्तेदारों ने अस्पताल में जमकर बवाल किया। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल का मुख्य गेट बंद कर दिया। जिससे आने-जाने वाले मरीजों और तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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हंगामे की सूचना मिलने पर कोतवाल एनएन पंत पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और मृतक के परिजनों से बातचीत शुरू की। तब परिजनों ने कहा कि अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा था कि वो बलबीर को बचा लेंगे। इसके लिए उनसे 10 लाख रुपये अस्पताल में जमा करवाने को कहा गया था। परिजनों ने डेढ़ बीघा जमीन बेचकर 10 लाख रुपये अस्पताल में जमा कराए, इसके बावजूद बलबीर बच नहीं सका। परिजनों ने पुलिस और प्रशासन से अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। गुस्साए लोग मौके से हटने को तैयार नहीं थे। पुलिस ने उन्हें किसी तरह समझा-बुझाकर शांत कराया।


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