देहरादून की आस्था पटवाल को बधाई दें..संयुक्त राष्ट्र के कंपटीशन में पाया विश्व में दूसरा स्थान
आस्था पटवाल ने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत में बदल कर संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित कंपीटिशन में दूसरा स्थान अर्जित कर राज्य का परचम अब पूरे विश्व के सामने लहरा दिया है-
Oct 23 2020 1:30PM, Writer:Komal Negi
मन में कुछ पाने की तीव्र इच्छाशक्ति हो तो संसार में ऐसी कोई भी चीज नहीं है जो आपको उसको पाने से रोक सके। देवभूमि उत्तराखंड धन्य है कि उसकी पावन भूमि पर कई ऐसे प्रतिभाशाली और महत्वाकांक्षी बेटियों ने जन्म लिया है जिनके सिर पर कुछ कर दिखाने का जुनून सवार है। आज एक ऐसी ही बेटी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसने अपनी काबिलियत, अपनी मेहनत और अपने दृढ़ संकल्प से एक नया मुकाम हासिल किया है और उत्तराखंड का नाम पूरे देश में लहरा दिया है। वह बेटी जो बोल नहीं पाती, जो सुन नहीं पाती मगर फिर भी खुद को और अपने जैसे कई दिव्यांगों को एक आम नागरिक का दर्जा दिलवाने की जिद लिए अपनी आवाज बुलंद कर रही है और आखिरकार उनके इस सपने की ओर उनका एक ऐतिहासिक कदम दर्ज हो चुका है। हम बात कर रहे हैं आस्था पटवाल की। आस्था पटवाल उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली महज 16 वर्ष की एक टीनएजर हैं। आस्था उन लोगों में से है, जो ना देख सकते हैं और न सुन सकते हैं। हाल ही में आस्था ने अपनी इसी कमजोरी को अपनी ताकत में बदला और आज उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक माने जाने वाली संयुक्त राष्ट्र ( यूएन ) की प्रतियोगिता में उन्होंने पूरी दुनिया में दूसरा स्थान अर्जित किया है। आस्था द्वारा बनाई गई एक मिनट की इस वीडियो में उन्होंने एक गंभीर मुद्दे की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है।
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: BJP विधायकों को करना पड़ सकता है इंतजार, कैबिनेट विस्तार पर सस्पेंस
यूएन यानी कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित किए गए कंपटीशन में पूरी दुनिया में उत्तराखंड की बेटी आस्था ने दूसरा स्थान अर्जित किया है। आस्था भले ही देख नहीं पातीं, सुन नहीं पातीं मगर फिर भी उनको यह हक है कि उनको एक आम नागरिक के जैसे ही ट्रीट किया जाए। इसी को लेकर उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की, अपनी बात रखी और परिणाम ने निराश नहीं किया। पूरे विश्व में वह द्वितीय स्थान पर आई हैं। यह उत्तराखंड के लिए काफी गर्व बात है। उन्होंने राज्य का सिर ऊंचा कर दिया है और जीत का परचम लहरा दिया है। बीते गुरुवार की रात में इस कंपीटिशन का ऐलान किया गया। बता दें कि आस्था ने जनगणना में नेत्रहीन और सुनने की क्षमता न रखने वालों की दिव्यांग जनों की गिनती ना करने के विरोध में अपनी आवाज सशक्त की थी और इसका मुद्दा जोरों-शोरों से उठाया था। यूएन ने इसके लिए प्रतियोगिता का भी संचालन किया था, जिसका नाम " यूएन वर्ल्ड डेटा फोरम कंपटीशन' था इसका विषय था डाटा क्यों जरूरी है। पूरी दुनिया में 15 से लेकर 24 साल के युवाओं ने इसमें हिस्सा लिया था। उत्तराखंड की 16 वर्ष की आस्था पटवाल ने भी इस कंपटीशन में हिस्सा लिया और उन्होंने सभी प्रतिभागियों को पछाड़ते हुए विश्व में दूसरा स्थान अर्जित किया है। उन्होंने वीडियो के जरिए यह बताया कि दिव्यांग लोगों को भी जनता का हिस्सा माना आखिर क्यों जरूरी है। उनकी वीडियो का थीम था " किसी को पता नहीं कि हम हैं"। क्योंकि आस्था स्वयं बोल नहीं सकतीं और ना ही सुन सकती हैं इसलिए उन्होंने साइन लेंग्वेज के जरिए वीडियो में कहा कि " मैं आप लोगों के लिए अदृश्य हूं। हमें जनगणना में शुमार भी नहीं किया जाता। किसी को यह भी नहीं पता कि दुनिया में हमारे जैसे और कितने लोग हैं। हमें जनगणना में शामिल कीजिए और दूसरों को प्रेरित करने का मौका भी दीजिए"
यह भी पढ़ें - गढ़वाल में भीषण सड़क हादसा..दो लोगों की मौत, शादी की खुशियों में पसरा मातम
आस्था ने आगे संदेश में कहा है, "हम जैसे लोगों के लिए डेटा या आंकड़े हमारे भविष्य की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। हम भले ही छोटी सी चिंगारी हैं लेकिन पूरे देश को रौशन करने की क्षमता रखते हैं। हम पर भरोसा तो किजिए।" आस्था के इस वीडियो को सेंस इंडिया नाम के अहमदाबाद के एनजीओ ने बनाया और सपोर्ट किया है। आस्था ने बताया कि वह बड़े होकर एक टीचर बनना चाहती हैं ताकि वह और भी बच्चों को इसके प्रति जागरूक कर सके। उनका कहना है कि जनगणना में दिव्यांगों की उपस्थिति होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि जनगणना के जरिए हम इस दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम भी इसी दुनिया का हिस्सा हैं और बाकी लोगों की तरह ही हैं। यही वीडियो है जिसके जरिए आस्था ने पूरी दुनिया में द्वितीय स्थान अर्जित किया है। आस्था अपनी सफलता से बेहद खुश हैं। बता दें कि आस्था ने 15 से लेकर 24 साल के सभी प्रतिभागियों को पछाड़कर इस कंपटीशन में द्वितीय स्थान अर्जित किया है, वहीं पहले और तीसरे स्थान पर पुर्तगाल के दो युवा रहे हैं।